पाकिस्तान की भारत के खिलाफ 'हजार कट' की रणनीति फिर से जिंदा
पाकिस्तान के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर इस समय देश के इतिहास के सबसे प्रभावशाली सैन्य नेताओं में गिने जा रहे हैं. जल्द ही संविधान के 27वें संशोधन के जरिए उन्हें इतनी शक्तियां मिलने जा रही हैं कि वे थलसेना, नौसेना, वायुसेना और परमाणु बलों के सर्वोच्च प्रमुख बन जाएंगे. यह बदलाव उन्हें पाकिस्तान के राजनीतिक नेतृत्व से भी ऊपर, एक 'सर्वसत्ता सम्पन्न सैन्य सुप्रीमो' के रूप में स्थापित करेगा.
दक्षिणपंथी विचारधारा और भारत विरोध
आसिम मुनीर की विचारधारा दक्षिणपंथी और भारत विरोधी मानी जाती है. विशेषज्ञों के मुताबिक, उनका रुख और नीतियां इस दिशा में हैं कि वे पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की 'हजार कट' नीति को फिर से सक्रिय कर रहे हैं. इस नीति के तहत भारत को सीधे युद्ध में उलझाने के बजाय आतंकी घटनाओं के जरिए कमजोर करने की रणनीति अपनाई जाती थी.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़ा असर
आसिम मुनीर अब अयूब खान, याह्या खान, जिया-उल-हक और परवेज मुशर्रफ जैसे शक्तिशाली सैन्य नेताओं की कतार में शामिल हो गए हैं. यह जानकारीइंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में दी गई है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद उन्होंने अपनी पकड़ और भी मजबूत कर ली है. बीते महीनों में पाकिस्तान ने अमेरिका, चीन और सऊदी अरब जैसे देशों से नजदीकियां बढ़ाई हैं, जिससे मुनीर की अंतरराष्ट्रीय साख भी बढ़ी है.
'ब्लीड इंडिया' रणनीति की वापसी
मुशर्रफ के दौर में अपनाई गई 'ब्लीड इंडिया' नीति में भारत को युद्ध के बजाय लगातार आतंकी हमलों से चोट पहुंचाने का लक्ष्य था. मुनीर की हालिया गतिविधियां इसी दिशा की ओर इशारा कर रही हैं. पाक सेना और उसके आतंकी नेटवर्क भारत के भीतर फिर से सक्रिय होते दिखाई दे रहे हैं, जो मुशर्रफ काल की याद दिलाते हैं.
नई दिल्ली धमाके से बढ़ी चिंता
10 नवंबर को दिल्ली में हुए विस्फोट और उसके बाद एक आतंकी सेल के खुलासे ने सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट कर दिया है. जांच में सामने आया है कि इस नेटवर्क का मकसद देश के कई हिस्सों में हमले करना था. विश्लेषकों का मानना है कि यह घटनाक्रम मुनीर की नई 'ब्लीड इंडिया योजना' का हिस्सा हो सकता है.
परमाणु धमकी और भारत का जवाब
मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को भारी सैन्य नुकसान झेलना पड़ा था. इसके बाद उसने परमाणु हथियारों की धमकी देकर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की, लेकिन भारत ने सख्त जवाब देते हुए कहा कि 'परमाणु ब्लैकमेल' स्वीकार नहीं किया जाएगा. इससे पाकिस्तान की रणनीतिक स्थिति और कमजोर हुई, जबकि मुनीर ने इसी के बाद नया रास्ता अपनाने का इशारा दिया.

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