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मप्र: बच्चों के लिए जहर बनी दवा को और 24 घंटे की मोहलत

 मप्र: बच्चों के लिए जहर बनी दवा को और 24 घंटे की मोहलत

भोपाल। छिंदवाड़ा में बच्चों की जान लेने वाले कफ सिरप पर स्वास्थ्य विभाग ने फिलहाल अंतिम निर्णय टाल दिया है। मौतों का कारण बने ‘कोल्ड्रिफ’ और ‘नेक्सा डीएस’ समेत संदिग्ध दवाओं के दस और नमूने दिल्ली और भोपाल की लैब भेजे गए हैं। इनकी रिपोर्ट कल तक आने की संभावना है। तब तक स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्सकों और अभिभावकों से दवाओं के उपयोग में सतर्कता बरतने की अपील की है।



प्रदेशभर से लिए गए दवाओं के सैंपल

प्रदेश के खाद्य एवं औषधि नियंत्रक दिनेश कुमार मौर्य ने बताया कि अब तक नौ नमूनों की जांच रिपोर्ट आ चुकी है। इनमें छह नमूनों की जांच दिल्ली की लैब में हुई। सभी रिपोर्ट में दवा में कोई हानिकारक रसायन नहीं पाया गया। मौर्य ने कहा कि विवादित हुए कफ सिरफ कोल्ड्रिफ (Coldrif) और नेक्सा डीएस (Nexa DS) के अलावा खांसी ठीक करने में उपयोगी अन्य दवाओं के नमूने भी लिए गए हैं। ये नमूने सिर्फ परासिया ही नहीं बल्कि प्रदेश के अन्य स्थानों से भी जुटाए गए। 

फिलहाल एडवायजरी जारी,बरतें सतर्कता

ड्रग कंट्रोलर ने कहा कि कोल्ड्रिफ और नेक्सा डीएस का विक्रय छिंदवाड़ा जिले में पहले ही प्रतिबंधित किया जा चुका है। अन्य स्थानों के लिए भी स्वास्थ्य विभाग की ओर से एडवायजरी जारी की गई है। चिकित्सकों व बीमार बच्चों के परिजनों को दवाओं के सेवन में सतर्कता बरतने के लिए कहा गया है।


अब तक नौ बच्चों की मौत

7 सितंबर से अब तक छिंदवाड़ा जिले में 9 बच्चों की किडनी फेल होने से मौत हो चुकी है। शुरुआती जांच में दवा के नमूनों में हानिकारक तत्व नहीं मिले थे, लेकिन नई जांच में एथिलीन ग्लाइकॉल और डाइएथिलीन ग्लाइकॉल जैसे जहरीले रसायनों के संकेत ने खतरे की घंटी बजा दी है। ये रसायन आमतौर पर वाहनों के कूलेंट में डाले जाते हैं और शरीर में जाने पर किडनी व दिमाग को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं।

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