DMRC ने दिल्ली मेट्रो का सफर किया महंगा
दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) ने सोमवार, 25 अगस्त 2025 से मेट्रो किराए में संशोधन लागू कर दिया है। यह आठ साल बाद पहली बार है जब किराए में बढ़ोतरी की गई है। आखिरी बार किराया 2017 में संशोधित हुआ था। डीएमआरसी के अनुसार, किराए में मामूली वृद्धि की गई है, जो ज्यादातर लाइनों पर 1 से 4 रुपये तक है, जबकि एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन पर 5 रुपये तक की बढ़ोतरी हुई है।
सबसे लंबी दूरी के लिए 64 रुपये
नए किराए के अनुसार, 0-2 किलोमीटर की छोटी दूरी के लिए अब 11 रुपये और 32 किलोमीटर से अधिक की सबसे लंबी दूरी के लिए 64 रुपये देने होंगे। पहले न्यूनतम किराया 10 रुपये था। यह संशोधन दिल्ली-एनसीआर के 390 किलोमीटर लंबे मेट्रो नेटवर्क और 285 से अधिक स्टेशनों पर लागू हो गया है।
दिल्ली मेट्रो का नया रेट स्लैब
0-2 किमी: ₹11 (पहले ₹10)
2-5 किमी: ₹21 (पहले ₹20)
5-12 किमी: ₹32 (पहले ₹30)
12-21 किमी: ₹43 (पहले ₹40)
21-32 किमी: ₹54 (पहले ₹50)
32 किमी से अधिक: ₹64 (पहले ₹60)
रविवार और राष्ट्रीय अवकाशों के लिए किराया
0-2 किमी: ₹11 (पहले ₹10)
2-5 किमी: ₹21 (पहले ₹20)
5-12 किमी: ₹32 (पहले ₹30)
12-21 किमी: ₹32 (पहले ₹30)
21-32 किमी: ₹43 (पहले ₹40)
32 किमी से अधिक: ₹54 (पहले ₹50)
एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन
किराए में अधिकतम ₹5 की बढ़ोतरी, जो दूरी के आधार पर लागू होती है। न्यूनतम किराया ₹10 और अधिकतम ₹64 है।
अतिरिक्त जानकारी
स्मार्ट कार्ड: 10% की छूट सामान्य दिनों में और 20% की अतिरिक्त छूट ऑफ-पीक घंटों में।
टूरिस्ट कार्ड
1 दिन: ₹200 (₹150 + ₹50 रिफंडेबल डिपॉजिट)
3 दिन: ₹500 (₹450 + ₹50 रिफंडेबल डिपॉजिट)
नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (NCMC): पीक आवर्स में 10% और ऑफ-पीक में 20% छूट।
किराया कैलकुलेटर के लिए DMRC की आधिकारिक वेबसाइट (delhimetrorail.com) या ऐप का उपयोग करें।
रविवार और अवकाश पर रियायत
डीएमआरसी ने रविवार और राष्ट्रीय अवकाशों के लिए रियायती किराया स्लैब भी शुरू किया है। इन दिनों 5 किलोमीटर तक की यात्रा के लिए अधिकतम 11 रुपये और 32 किलोमीटर से अधिक दूरी के लिए 54 रुपये किराया देना होगा।
यात्रियों में नाराजगी
किराया वृद्धि की घोषणा के बाद कई यात्रियों और सोशल मीडिया यूजर्स ने नाराजगी जताई है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर यूजर्स ने बढ़ती जीवन-यापन लागत पर चिंता व्यक्त की और डीएमआरसी से इस बढ़े हुए राजस्व के उपयोग में पारदर्शिता की मांग की।
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