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PM मोदी के हस्तक्षेप से हल हो सकता है कच्चातिवु विवाद - स्टालिन

 PM मोदी के हस्तक्षेप से हल हो सकता है कच्चातिवु विवाद - स्टालिन 

कच्चातिवु द्वीप का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है। इसकी वजह है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन की पीएम मोदी से की गई एक अपील और उस पर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का पलटवार। समुद्र तटीय राज्य के सीएम ने प्रधानमंत्री मोदी से अपील की है कि वे लंबे समय से चले आ रहे कच्चातीवु द्वीप विवाद को हल करने के लिए सीधा हस्तक्षेप करें। उनके ऐसा करने से ये विवाद हल हो सकता है। इसके अलावा स्टालिन ने श्रीलंका की जेल में बंद भारतीय मछुआरों और जब्त नावों की रिहाई कराने के लिए भी पीएम मोदी से आह्वान किया है।  


केंद्र पर तंज कसते हुए पीएम से स्टालिन ने की अपील

तमिलनाडु के सीएम ने भारतीय जनता पार्टी पर इस मुद्दे को लेकर राजनीति करने का आरोप भी लगाया है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पिछले 10 वर्षों में तमिलनाडु के मछुआरों की रक्षा करने में विफल रही है। इतना ही नहीं वह बिना कोई ठोस कार्रवाई किए कच्चातीवु मुद्दे का राजनीतिकरण कर रही है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इस दिशा में केंद्र को ठोस कार्रवाई करनी चाहिए। केवल प्रधानमंत्री का सीधा हस्तक्षेप ही तमिल मछुआरों के लिए एक स्थायी समाधान ला सकता है।  


जयशंकर ने क्यों नहीं किया श्रीलंका के हालिया दावों का खंडन ?

इस दौरान स्टालिन ने बड़ा सवाल भी किया। उन्होंने पूछा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मुद्दे पर श्रीलंका के हालिया दावों का खंडन क्यों नहीं किया है। दरअसल हाल ही में श्रीलंका के मत्स्य पालन मंत्री डगलस देवानंद ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि तमिलनाडु के मछुआरे अक्सर अतिक्रमण करते हैं। साथ ही उन्होंने कहा था कि कोलंबो कच्चातीवु द्वीप वापस नहीं करेगा। 


भाजपा ने किया पलटवार

भाजपा ने उनके इस बयान पर पलटवार किया है। भाजपा प्रवक्ता नारायण तिरुपति ने उन्हें पुरानी बातें याद दिलाते हुए कहा कि केंद्र में जब कांग्रेस और तमिलनाडु में डीएमके की सरकार थी तभी 1974 में कच्चातीवु श्रीलंका को सौंप दिया गया था। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि डीएमके ने 14 साल तक केंद्र में सत्ता साझा की,लेकिन तब इस मुद्दे पर कुछ नहीं किया। उल्टा हमने अपनी सरकार में यह सुनिश्चित किया है कि श्रीलंकाई नौसेना कोई गोलीबारी न करे, जबकि कांग्रेस के शासन में लगभग 1,000 मछुआरे मारे गए थे। 


श्रीलंका द्वारा जब्त की गई भारतीय मछुआरों की नौकाओं की नीलामी और भारतीय मछुआरों की आजीविका को नुकसान पहुंचाने के सवाल पर नारायण तिरुपति ने कहा कि वार्ता जारी है। हमने प्रभावित श्रीलंकाई तमिल मछुआरों और भारतीय तमिल मछुआरों के बीच कई दौर की बातचीत की है। लेकिन जब तक आप उनसे बात करके कोई समाधान नहीं निकालेंगे, यह समस्या समाप्त नहीं होगी। 

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