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अलौकिक आभा का सम्मोहिनी दरबार:डा प्रदीपसिंह राव

 अलौकिक आभा का सम्मोहिनी दरबार:


 डा प्रदीपसिंह राव


जब अलौकिक दृश्य जीवंत हो जाए...


बा मुलाहिजा सावधान ...


मुख्यमंत्री की शाही कैबिनेट 



लोक माता अहिल्या देवी की पवन धरा पर उनकी 300वी जयंती को मध्य प्रदेश मंत्री मंडल ने सार्थक कर दिया।18वो सदी में मालवा को समृद्ध,प्रगतिशील, सुशासित और धार्मिक सम्पन्नता की सौगात देने वाली माता प्रदेश ही नहीं समूचे देश के लिए आदर्श हैं।हमारी संस्कृति की संवाहक है लोकमाता अहिल्या,20 मई 2025 का दिन राजबाड़ा के दरबार हाल में तीन शताब्दियों पूर्व का अलौकिक दृश्य जीवंत हो उठा,,जैसे होलकर राजवंश के महान शासकों ने एक एक कर अमूर्त रूप धारण कर लिया,खुद माता अहिल्या की पाषाण की प्रतिमूर्ति जीवंत हो उठी    !! उनकी आत्मा जैसे प्रदेश के माननीय में अल्प समय के लिए समाहित हो गई,,,लग ही नहीं रहा था कि कोई शासकीय मंत्रिमंडल की बैठक हो रही,,,शताब्दियां अतीत से निकलकर वर्तमान  के मंच पर बोलती लगी,,, ये सच था या एक रंगमंच,,,अंतर करना दुष्कर लग रहा था,,,माननीय के बगल में स्थापित माता अहिल्या की प्रतिमा और दरबार हॉल  की होलकर राजाओं की  आदम कद तस्वीरें विक्रमादित्य की सम्मोहित कर देने वाली सप्त पुतलियों के मानिंद आभास करवा रही थी....देश के इतिहास में ऐसा अनुपम प्रयोग विलक्षण और अभूतपूर्व ही होगा...।किसी सदियों पूर्व के शासक को कुछ समय के लिए आत्मसात कर लेना ,मन को मोहित कर लेना,,माननीय के ही बस की बात थी,,,,हजारों वर्ष पूर्व के यूनानी दार्शनिकों द्वारा रूपक और संवाद शैली में समाज की व्यवस्था का रूपांकन करते थे जो नागरिकों को सहजता से समझ आ जाए,,,,,राजनैतिक दर्शन का वो  अचरज पूर्ण उदाहरण  अनुपम इतिहास है,,,,,,!!,महाकाल का आश्रय,शिव के स्वभाव और कुंभ के प्रभाव के राजयोगी,,,जो भस्मारती , भभूत और तांडव की पारंगत संस्कृति में पले बढ़े,,,, ये उन्हीं शख्सियत के बस में हो सकता है,,, ये ऐतिहासिक दरबार उन्हें शिव भक्त  लोकमता का अभेद्य कवच की सौगात देगा,,,

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