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निशा कुमार महिला सुरक्षा और पर्यावरण के लिए काम करेंगी

 निशा कुमार महिला सुरक्षा और पर्यावरण के लिए काम करेंगी 

एवरेस्ट फतह के बाद जब काटनी पड़ी उंगली

बड़ोदरा से लंदन साइकिल से की यात्रा

इंदौर। माउंट एवरेस्ट फतेह और भारत से लंदन साइकिल यात्रा करने वाली गुजरात की युवा निशा कुमार अब ग्लोबल वार्मिंग और वूमन सेफ्टी की दिशा में बड़ा काम करना चाहती हैं। 



स्टेट प्रेस क्लब म. प्र. के 'रूबरू 'कार्यक्रम में पत्रकारों से चर्चा करते हुए वडोदरा गुजरात की निवासी एक्स एनसीसी एयर विंग कैडेट निशा कुमार ने बताया कि सात साल की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने 17 मई 2023 को माउंट एवरेस्ट की चोटी पर तिरंगा फहराया। 


उन्होंने बताया कि एवरेस्ट से वापसी के समय फ्रास्टबिट बीमारी की वजह से उनके दोनों हाथों की नौ उंगलियों के नाखून चले गए और सभी उंगलियां के ऊपरी हिस्से काटने पड़े। काठमांडू,दिल्ली और मुंबई के अस्पतालों में इस बीमारी का इलाज कराया लेकिन हिम्मत नहीं हारी। 


निशा कुमारी के कोच निलेश बारोट से उनकी मुलाकात एमएस यूनिवर्सिटी, वडोदरा के कॉलेज में एक एडवेंचर इवेंट के दौरान हुई। फिर शुरू हुआ इनका कड़ा प्रशिक्षण। निशा के साथ अन्य दस स्टूडेंट्स ने भी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का सपना देखा लेकिन करोना काल में सब पीछे रह गए। उसे दौर में भी निशा रोजाना लंबी दूरी की दौड़ लगाती और  साइकिल चलाया करती।


एवरेस्ट विजय के साथ ही निशा भारत के उन 500 लोगों में शरीक हो गई है जिन्होंने माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराया है। इस उपलब्धि के बाद निशा कुमारी ने साइकिलिंग में अपना करियर बनाया। लंबे अभ्यास के बाद उन्होंने वडोदरा गुजरात से लंदन तक की साइकलिंग की। 210 दिनों में 16888 किलोमीटर साइकिल चलाकर निशा जनवरी 2025 में लंदन पहुंची। निशा ने बताया कि इस दौरान 16 देश से गुजरते हुए उन्हें कई खट्टे मीठे अनुभव हुए। सबसे अधिक चुनौती उन्हें चीन में मिली। वहीं मध्य एशिया के देश रूस सहित किर्गिस्तान आदि में भारतीय संस्कृति से प्रभावित कई युवा मिले जो हिंदी भी जानते थे। चीन का पर्यावरण उन्हें बेहतर लगा। अपनी पूरी साइकिल यात्रा के दौरान निशा कुमारी ने हजारों पौधे भी रोंपे।


इस पूरी साइकिल यात्रा के दौरान सबसे बड़ी चुनौती रास्ता खोजने की रही क्योंकि गूगल मैप भारत में है। चीन में ए मैप डाउनलोड करना पड़ा। सेंट्रल एशिया कंट्रीज में येंडेक्स में रेफर करना पड़ा।  सबसे बड़ी चुनौती उन्हें खाने को लेकर हुई। वेजीटेरियन होने के कारण इन्हें इन रास्तों पर फल एवं सलाद खाकर ही सफर करना पड़ा। वैसे अपने घर से लेकर का सत्तू मूंग चना बहुत काम आया। 


निशा के कोच बारोट ने बताया कि माउंट एवरेस्ट और साइकिल यात्रा पर करीब एक करोड़ रूपया खर्च हुआ जिसमें गुजरात पुलिस सहित आमजनों ने सहयोग किया। 


उन्होंने बताया कि अब दो बड़े लक्ष्य पूर्ण करने के बाद निशा कुमारी पर्यावरण और वूमन सेफ्टी की दिशा में बड़ा काम करने जा रही हैं। जिसके लिए वह बाबा महाकाल का आशीर्वाद लेने उज्जैन आई हैं।


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