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क्यों बोले मंत्री विजय शाह—"या तो हम छूते नहीं या फिर ​छोड़ते नहीं"

 क्यों बोले मंत्री विजय शाह—"या तो हम छूते नहीं या फिर ​छोड़ते नहीं"



डिंडौरी। मध्यप्रदेश के जनजातीय कल्याण मंत्री विजय शाह लंबे अर्से बाद एक बार फिर फॉर्म में नजर आ रहे हैं। सोमवार को डिंडौरी जिले के सिमरधा में आयोजित एक सभा में मंत्री ने मंच से अफसरों को फटकार लगाई। मंत्री ने दो टूक लहजे में कहा—"या तो हम छूते नहीं या फिर ​छोड़ते नहीं"। अब मंत्री जी के इस बात के मायने तलाशे जा रहे हैं।


बैगा आदिवासियों ने खोल दी अफसरों की पोल

दरअसल,प्रदेश सरकार ने एक बार फिर आदिवासियों की सुध लेना शुरू किया है। इसी क्रम में जनजातीय कल्याण विभाग की ओर से बैगा बाहुल्य सिमरधा में वनाधिकार व पेसा कानून को लेकर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। मंच पर पहुंचने से पहले ही मंत्री शाह को कई बैगा आदिवासियों ने अपनी पीड़ा बताई। इन्होंने कहा— वनभूमि में सालों से काबिज होने के बाद भी उन्हें वन अधिकार पत्र नहीं दिया जा रहा है। उल्टा वन अधिकारी,कर्मचारी उनकी फसल उजाड़कर उन्हें बेदखल करने का जतन करते हैं। 


एसडीएम से कहा—क्यों न आपको निलंबित कर दें


आदिवासियों की पीड़ा सुनते ही शाह ने मंच से अफसरों की क्लास ले ली। मंत्री ने नाराजगी जताते हुए कहा कि आप लोग समीक्षा क्यों नहीं करते हैं। एसडीएम भारती मेरावी को स्प्ष्ट शब्दों में कहा कि क्यों न आपको सस्पेंड कर दिया जाय। अधिकारी मंत्री को गुमराह करने की कोशिश करते रहे, लेकिन बैगा आदिवासियों ने लापरवाह अधिकारियों की पोल खोलकर रख दी। बाद में शाह ने ने वन अधिकार पत्र को लेकर ऑन कैमरा भी अफसरों की लापरवाही को स्वीकारा। 

 

15 दिन में व्यवस्था सुधार का अल्टीमेटम

मंत्री विजय शाह ने अधिकारियों को अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि पंद्रह दिनों के भीतर लापरवाही को सुधारकर पात्र बैगा आदिवासियों को वन अधिकार पत्र दिए जाएं। साथ ही उन्होंने पंद्रह दिनों के बाद दोबारा सिमरधा गांव के दौरा करने की बात भी कही है। 

कार्यक्रम में मौजूद क्षेत्रीय सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते ने भी पात्र बैगा आदिवासियों को पंद्रह दिनों के भीतर वन अधिकार पत्र दिलाने का भरोसा जताया।

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