सागर। मध्य प्रदेश के सागर के जिला अस्पताल में भर्ती बेसहारा महिला से उसकी ढाई महीने की बेटी को अवैध रूप से दत्तक रूप में ग्रहण कर उसकी धार्मिक पहचान बदल दी गई। ऐसा करने वाले मुस्लिम परिवार ने अस्पताल के दस्तावेजों में भी बच्ची का नाम बदलवा दिया और माता-पिता की जगह खुद का नाम लिखवा दिया। सरकारी अस्पताल प्रबंधन ने एडाप्टेड लिखकर दस्तावेजों में इसे दर्ज भी कर लिया। इसकी जानकारी होने पर बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सोमवार को सागर पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी कर मामले की जांच रिपोर्ट मांगी है।
- पुलिस के अनुसार चार फरवरी को सागर रेलवे स्टेशन पर गुना के डोंगरखेड़ी निवासी विमला धाकड़ नाम की महिला बीमार हालत में मिली थी।
- उसके साथ उसका पांच साल का बेटा और ढाई महीने की बेटी थी। 108 एंबुलेंस ने महिला और उसके दोनों बच्चों को जिला अस्पताल पहुंचा दिया। वहां महिला वार्ड में उसे भर्ती कर लिया गया।
- महिला वार्ड में ही भर्ती शबाना बी पति मकबूल ने विमला से बच्ची को अपने संरक्षण में ले लिया। उसने 10 फरवरी को जिला अस्पताल के पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में उसे भर्ती कराया।
- 16 फरवरी को बच्ची की असली मां विमला धाकड़, अपने पांच वर्षीय बेटे के साथ अस्पताल से चली गई। उसी दिन वह बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में भर्ती हुई और 17 फरवरी को उसकी मौत हो गई।
- अस्पताल से सूचना मिलने पर विशेष किशोर पुलिस इकाई (एसजीपीयू) ने पांच साल के बालक को बाल कल्याण समिति के आदेश पर एक बाल आश्रम में रखवा दिया।
- 19 फरवरी को जिला बाल कल्याण समिति को जानकारी मिली कि विमला धाकड़ के पास एक बच्ची भी थी।
- जब समिति सदस्यों ने विशेष किशोर पुलिस इकाई (एसजीपीयू) से इस संबंध में बात की तो उन्होंने बताया कि उन्हें बच्ची के संबंध में कोई जानकारी नहीं है।
- विमला का एक ही बालक था, जिसे आश्रम भेज दिया है। समिति द्वारा एसजीपीयू को निर्देशित किया गया कि बच्ची की जानकारी जुटाकर समिति को अवगत कराएं।
- इसके बाद जब एसजीपीयू जिला अस्पताल पहुंची जहां पाया कि समिति को मिली जानकारी सही है और विमला की ढाई माह की एक बालिका अभी एक मुस्लिम परिवार के संरक्षण में है।
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