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महाकुंभ के पहले दिन दिखा आस्था का जनसैलाब, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- महाकुंभ भारत की शाश्वत आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक और आस्था एवं सद्भाव का उत्सव


 विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम महाकुंभ आज पौष पूर्णिमा के अवसर पर प्रयागराज में अमृत स्नान के साथ शुरू हो गया। लाखों श्रद्धालु, तीर्थयात्री और आगंतुक गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम त्रिवेणी के विभिन्न घाटों पर पवित्र डुबकी लगा रहे हैं।


इस भव्य आयोजन का समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन होगा। 144 वर्षों में एक बार होने वाला एक दुर्लभ खगोलीय संयोग इस वर्ष महाकुंभ की विशेषता को और बढ़ा रहा है। कल करीब 50 लाख श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई। अनुष्ठान स्नान के अलावा लाखों श्रद्धालु संगम पर कल्पवास की प्राचीन परंपरा का भी पालन कर रहे हैं।


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रयागराज में महाकुंभ 2025 के शुभारंभ पर सभी को शुभकामनाएं दी हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह भारतीय मूल्यों और संस्कृति को संजोने वाले करोड़ों लोगों के लिए बहुत विशेष दिन है। महाकुंभ भारत की शाश्वत आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है और आस्था एवं सद्भाव का उत्सव है।


प्रधानमंत्री ने एक्स पर अपनी पोस्ट में लिखा: "भारतीय मूल्यों और संस्कृति को संजोने वाले करोड़ों लोगों के लिए यह विशेष दिन है! महाकुंभ 2025 का प्रयागराज में शुभारंभ हो रहा है, यह आस्था, भक्ति और संस्कृति के पवित्र संगम में असंख्‍य लोगों को एक साथ संजोएगा। महाकुंभ भारत की शाश्वत आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है और आस्था एवं सद्भाव का उत्‍सव है।"


प्राचीन मान्यताओं के अनुसार श्रद्धालु निर्धारित अनुष्ठानों का सख्ती से पालन करते हुए माघ पूर्णिमा तक एक महीने के लिए कल्पवास करेंगे। इस पवित्र अनुष्ठान के दौरान श्रद्धालुओं के लिए सुचारू और आध्यात्मिक अनुभव सुनिश्चित करने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। श्रद्धालु उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की तैयारियों से बेहद संतुष्ट दिखे और महाकुंभ पर्व को लेकर की गई सुव्यवस्थित व्यवस्था को देखकर मुक्त कंठ से सरकार की तारीफ करते दिखे।  हिंदू कैलेंडर में पौष पूर्णिमा को चिह्नित करने वाला यह शुभ कार्यक्रम, 45-दिवसीय त्योहार की शुरुआत का संकेत देता है, जिसमें भारत की समृद्ध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करते हुए, 45 करोड़ लोगों के आने की उम्मीद है।


पौष पूर्णिमा के अवसर पर कल्पवासी संगम में स्नान कर कल्पवास के कठिन नियमों का महाकुंभ अवधि के दौरान पालन करते हुए पुण्य प्राप्ति, सद्गति, मोक्ष प्राप्ति और सकल विश्व के कल्याण के लिए प्रार्थना करते हैं। स्वयं व अपने परिजनों के कल्याण के साथ ही सकल विश्व के कल्याण के लिए भी कल्पवासी प्रार्थना करते हैं। महाकुंभ के प्रारंभ होने के साथ ही सोमवार होने के कारण महादेव की उपासना के विशेष संयोग ने इस क्षण को और भी दुर्लभ बना दिया और महाकुंभ मेला क्षेत्र के सभी घाटों पर श्रद्धालु महादेव की उपासना में पवित्र जलधारा में डुबकी लगाकर संकल्प लेते दिखे। हर-हर महादेव, जय श्रीराम और जय बजरंग बली के नारों से रह-रहकर संगम नोज समेत सभी घाट दिनभर गुंजायमान होते रहे।


वहीं, साधारण गृहस्थ श्रद्धालुओं में भी स्नान को लेकर अपार उत्साह देखने को मिला। पहले ही दिन प्रयागराज व आसपास के इलाकों समेत बिहार, हरियाणा, बंगाल, ओडिशा, दिल्ली, उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र तथा मध्य प्रदेश जैसे प्रांतों की भारी भीड़ संगम समेत तीर्थराज प्रयागराज के विभिन्न घाटों पर देखने को मिली।


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