यूनियन कार्बाइड का 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा विशेष कंटेनर में पैक होगा। भोपाल से पीथमपुर तक पूरे रास्ते जीपीएस मॉनिटरिंग होगी। ये तो तय होगा, लेकिन कचरा डिस्पोज करने और परिवहन की तारीख तय नहीं हो पाई। तीन एजेंसियों को इसके लिए जिम्मेदार बनाया गया है जो आपस में ही उलझ रही हैं। इस प्रक्रिया में 126 करोड़ रुपए खर्च होना है। गैस राहत विभाग, प्रदूषण नियंत्रण और निजी एजेंसी ये काम करेगी। करीब एक माह पहले कोर्ट के आदेश के तहत चार हफ्ते में प्रक्रिया शुरू की जाना है। इसकी मानें तो ये मियाद 7 जनवरी 2025 से शुरू होगी।
एजेंसियों में विवाद, हर कोई तारीख के इंतजार में
तैयारियों पर गैस राहत विभाग कुछ कहने तैयार नहीं। अधिकारियों के मुताबिक मामला कोर्ट में हम बोल नहीं सकते। मॉनिटरिंग एजेंसी प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड गैस राहत विभाग पर मामला टाल रहा है। उनका कहना है तारीख वे तय करेंगे। इधर, कचरा निष्पादन करने वाली एजेंसी रामकी की ओर से कहा जा रहा वे तैयार हैं। तारीख नहीं मिल रही।
इनका कहना है
मामला कोर्ट का है ऐसे में यूका कचरे से जुड़े किसी भी मामले में बात नहीं कर सकते।
स्वतंत्र कुमार, संचालक गैस राहत विभाग
ढाई सौ किमी के सफर में पांच जिलों की सीमाओं को पार करेगा कचरा: यूनियन कार्बाइड का 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा भोपाल से पीथमपुर तक ढाई सौ किमी का सफर तय करेगा। इस दौरान ये पांच जिलों की सीमाओं से गुजरेगा। जिन जिलों की सीमाएं आएंगी उनमें भोपाल, सीहोर, आष्ठा, इंदौर और धार शामिल रहेगा। अगर किसी वजह से कंटेनर वाहन के बाहर भी आए तो उसका कोई प्रभाव नहीं होगा।
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