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सरकार का सडक़ों की क्वालिटी में सुधार पर फोकस, दूसरे राज्यो की तकनीकी का अध्ययन कर रहे अधिकारी

 


मप्र में सडक़ों का जाल बिछा हुआ है। शहर से लेकर गांवों में तेजी से सडक़ों का निर्माण किया जा रहा है। लेकिन अधिकांश सडक़े गारंटी पीरियड में ही खराब हो रही हैं। इसको देखते हुए सरकार ने निर्माण एजेंसियों के अधिकारियों को दूसरे राज्यों में सडक़ आदि के निर्माण की तकनीक का अध्ययन करने को कहा है। सरकार के निर्देश के बाद तेलंगाना और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के बाद अब लोक निर्माण विभाग ने अधिकारियों की एक टीम को गुजरात गई है।

गौरतलब है कि लोक निर्माण विभाग का फोकस प्रदेश में सडक़ों की क्वालिटी में सुधार पर है। इसके लिए लोक निर्माण विभाग अन्य राज्यों में सडक़ निर्माण की तकनीक का अध्ययन कर रहा है। विभागीय अधिकारियों की टीमें दूसरे राज्यों में भेजी जा रही है। तेलंगाना और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के बाद अब लोक निर्माण विभाग ने अधिकारियों की एक टीम को गुजरात रवाना किया है। यह टीम दो दिन गुजरात में सडक़ व भवन विभाग की कार्यप्रणाली का बारीकी से अवलोकन कर वहां के अधिकारियों से विस्तृत चर्चा करेगी। इसके बाद यह टीम गुजरात में सडक़ व भवन निर्माण की बेस्ट प्रैक्टिसेस को लेकर रिपोर्ट तैयार करेगी, जिसे प्रेजेंटेशन के जरिए विभागीय मंत्री राकेश सिंह के समक्ष पेश किया जाएगा।

11 अफसरों की टीम गुजरात पहुंची

जानकारी के मुताबिक लोक निर्माण विभाग के 11 अधिकारियों की टीम सडक़ एवं भवन विभाग की कार्यप्रणाली और बेस्ट प्रैक्टिसेस के अध्ययन के लिए गुजरात गई है। इन अधिकारियों में प्रबंध संचालक भवन विकास निगम पंकज जैन, प्रमुख अभियंता सडक़ एवं पुल लोक निर्माण विभाग केपीएस राणा, प्रमुख अभियंता भवन एसआर बघेल, प्रमुख अभियंता भवन विकास निगम अनिल श्रीवास्तव, मुख्य अभियंता बीपी बौरासी, आनंद राणे, जीपी चर्मा, गोपाल सिंह, संजय मस्के, योगेंद्र बागेले और कार्यपालन यंत्री अविनाश शिवरिया शामिल हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि अक्टूबर में विभाग के अधिकारियों की एक टीम तेलंगाना और एनएचएआई गई थी। वहां सडक़ निर्माण की कार्यप्रणाली देखने के बाद टीम ने मंत्री राकेश सिंह के समक्ष वहां की बेस्ट प्रैक्टिसेस को लेकर प्रेजेंटेशन दिया था। टीम ने तेलंगाना में किए जा रहे नवाचारों और एनएचएआई द्वारा उपयोग की जा रही नई तकनीकों के बारे में जानकारी देते हुए विभाग को जरूरी सुझाव दिए थे।

हर डिवीजन में एक प्रयोगशाला

दो करोड़ रुपए से अधिक के डामर कार्यों में बैच मिक्स प्लांट का उपयोग अनिवार्य किया जाए, जिससे निर्माण की गुणवत्ता में सुधार होगा और डामर का समुचित मिश्रण तय किया जा सकेगा। एक करोड़ रुपए से अधिक के सभी निर्माण कार्यों में तकनीकी परीक्षण (पीक्यू) को लागू किया जाए। क्वालिटी कंट्रोल को फील्ड स्तर तक विस्तार दिया जाए। इस प्रक्रिया में स्पष्ट रूप से जिम्मेदारियों को निर्धारित करने की जरूरत है, ताकि गुणवता की निगरानी और सुधार सटीक रूप से हो सके। डामर की खरीद केवल अर्थशासकीय संस्थानों जैसे-आईओसीएल, बीपीसीए व एचपीसीएल, से ही की जाए। प्लानिंग और डिजाइन का कार्य निजी कंसल्टेंसी से कराया जाए, लेकिन इसमें विभागीय इंजीनियर्स की सहभागिता पूर्ण जवाबदेही के साथ होनी चाहिए, ताकि क्वालिटी बनी रहे। सडक़ों की मोटाई मांपने के लिए सभी सर्कल लैब्स के लिए डिजिटल डेसिटी मशीन का क्रय किया जाए। हर डिवीजन में एक प्रयोगशाला स्थापित की जाए, जिससे निर्माण कार्यों की जांच और परीक्षण नियमित रूप से किया जा सके। ड्रोन एनालिटिक्स मॉनिटरिंग सिस्टम का उपयोग किया जाए। यह प्रणाली ड्रोन के जरिए पूरे मार्ग का सर्वे करती है, जिससे परियोजनाओं की प्रगति की तुलनात्मक समीक्षा की जा सकती है।

 81 हजार किमी सडक़ों का नेटवर्क

प्रदेश में पीडब्ल्यूडी के पास कुल 81 हजार किलोमीटर सडक़ों का नेटवर्क है। पीडब्ल्यूडी के पास सडक़ों का बड़ा नेटवर्क है। प्रदेश में 9 हजार 315 किलोमीटर नेशनल हाईवे, 12 हजार 568 किलोमीटर स्टेट हाईवे, 25 हजार 420 किमी मुख्य जिला मार्ग और 33 हजार 697 किलोमीटर ग्रामीण सडकें लोक निर्माण के पास है। लोक निर्माण विभाग के मंत्री राकेश सिंह का कहना है कि सडक़ निर्माण की क्वालिटी में सुधार के लिए कुछ बड़े परिवर्तन करने की योजना हमने तैयार की है। अफसरों की टीमें दूसरे राज्यों में भेजी जा रही है, ताकि वहां की बेस्ट प्रैक्टिसेस को लागू किया जा सके। टेंडर में लोएस्ट रेट की शर्तों में भी संशोधन किया जा रहा है, ताकि सडक निर्माण की क्वालिटी प्रभावित न हो। बिटुमेन केवल बीपीसीएल, आईओसीएल से लिया जाए, यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है।

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