भोपाल: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राजस्व संबंधी राज्य के पेंडिंग मामलों के निपटाने के लिए एक महीने का राजस्व महा-अभियान चलाने का ऐलान किया है। इससे पहले दो बार ये अभियान राज्य में चलाया जा चुका है। इसलिए इस अभियान को 'राजस्व महा-अभियान 3.0' नाम दिया गया है। यह 15 नवंबर से शुरू हो चुका है और 15 दिसंबर तक चलने वाला है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बताया कि इस अभियान के जरिए पहले भी 80 लाख से ज़्यादा राजस्व मामलों का निपटारा किया जा चुका है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस बार भी ज़मीन से जुड़े कई अहम मसलों का समाधान होगा।
इस अभियान के बारे में अधिक जानकारी देते हुए राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव विवेक पोरवाल ने बताया कि इसमें नामान्तरण, बंटवारा, अभिलेख दुरुस्ती, सीमांकन जैसे लंबित मामलों का निपटारा किया जाएगा। साथ ही, नए राजस्व प्रकरणों को भी दर्ज किया जाएगा।
इसके अलावा, नक्शे में सुधार, पीएम किसान योजना का शत-प्रतिशत कवरेज, आधार को आरओआर से जोड़ना, पारंपरिक रास्तों का चिन्हांकन, 'फार्मर रजिस्ट्री' और 'स्वामित्व योजना' को लागू करना भी इस अभियान के प्रमुख उद्देश्य हैं
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ट्विटर पर लिखा, 'मध्य प्रदेश के 55 जिलों में हमारे राजस्व के खसरे में नामांतरण आदि जैसे जो प्रकरण अटके हुए हैं, उनके लिए एक महा अभियान चलेगा जिसके माध्यम से हमने पुराने दौर में भी लगभग 80 लाख अलग-अलग प्रकार के राजस्व प्रकरणों का निराकरण कराया है।
हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस प्रकार से जितने मसले अटके हैं उनका हल होगा।'राजस्व विभाग ने सभी जिला कलेक्टरों को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। अभियान की प्रगति पर नज़र रखने के लिए एक 'डैशबोर्ड' भी बनाया गया है। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि समय-सीमा पार कर चुके मामलों के साथ-साथ नए मामलों का निपटारा भी समय पर सुनिश्चित किया जाएगा।
महा-अभियान के तहत उत्तराधिकार नामांतरण के लिए ग्राम पटवारी द्वारा बी-1 का वाचन कराया जाएगा और जिन व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है, उनकी सूची तैयार की जाएगी। इसके आधार पर नए मामले दर्ज कर फौती नामांतरण की कार्रवाई की जाएगी। इसी तरह, बंटवारा के लंबित और नए मामलों का भी निपटारा किया जाएगा।
छह महीने से ज़्यादा समय से लंबित अभिलेखों के शुद्धिकरण के मामलों को भी इस अभियान के दौरान निपटाया जाएगा। राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि आरसीएमएस पर दर्ज लंबित सीमांकन मामलों का जल्द से जल्द निपटारा करें और नए मामलों को दर्ज कर उनका भी समाधान निकालें। धारा-131 के तहत मान्यता प्राप्त सड़क, रास्ते और सार्वजनिक भूमि का चिन्हांकन भी इस अभियान का हिस्सा होगा।
महा-अभियान 3.0 की प्रगति पर संभागीय आयुक्त नज़र रखेंगे और ज़िलों का दौरा कर नियमित समीक्षा करेंगे। राज्य स्तर पर समन्वय के लिए अपर संचालक, मध्यप्रदेश भू-अभिलेख प्रबंधन, भोपाल को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
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