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भैरव अष्टमी को व्रत करने से सभी कार्य होंगे सिद्ध

 भैरव अष्टमी को व्रत करने से सभी कार्य होंगे सिद्ध

रवि योग और इंद्र योग में 22 नवंबर को भैरव अष्टमी मनाई जाएगी। भैरव अष्टमी को देवाधिदेव महादेव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा की जाती है। भैरव अष्टमी का व्रत करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर काल भैरव देव की पूजा की जाती है। भैरव अष्टमी का व्रत करने से साधक को विशेष कार्य में सफलता और सिद्धि मिलती है।


तंत्र विद्या सीखने वाले साधक कालाष्टमी पर काल भैरव देव की कठिन उपासना करते हैं। धार्मिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान काल भैरव का जन्म हुआ था। इस दिन भगवान शिव के रौद्र स्वरूप काल भैरव की पूजा विधि-विधान के साथ की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा-पाठ, दान करने से काल भैरव प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

कालाष्टमी पर शुभ योग

इस दिन ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही इंद्र योग का निर्माण होगा। इसके अलावा, रवि योग बनेगा। इन योग में भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलेगी।

काल भैरव मंदिरों में तैयारियां शुरू

भैरव अष्टमी में सप्ताहभर शेष है। नगर के प्रमुख भैरव मंदिर नया बाजार चौराहा, सराफा बाजार, माधवगंज, स्टेशन पुल के नीचे मंशापूर्ण हनुमान मंदिर व सिटी सेंटर स्थित महाबली हनुमान मंदिर में विराजित भैरव सहित अन्य मंदिरों में तैयारियां शुरु हो गई हैं। हनुमान जी की तरह भैरवजी की प्रतिमा पर भी सिंदूर का चोला अर्पित किया जाता है। मूंग व उड़द की दाल के मंगौड़े, इमरती, कचौड़ी का भोग अर्पित होता है। भैरव अष्टमी के साथ 56 भोग व भंडारों का भी आयोजन किया जाएगा।

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