केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस), आयुष मंत्रालय के शोध प्रकाशन जर्नल ऑफ ड्रग रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेस (जेडीआरएएस) का एक विशेष अंक कल आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा द्वारा प्रो. रबिनारायण आचार्य, महानिदेशक, सीसीआरएएस, और परिषद के वरिष्ठ अधिकारियों एवं शोधकर्ताओं की उपस्थिति में जारी किया गया। यह विशेष संस्करण आयुर्वेद आहार के उभरते क्षेत्र को समर्पित है। यह पारंपरिक आयुर्वेदिक आहार ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक समझ के साथ जोड़ने के आयुष मंत्रालय के चल रहे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम है।
खाद्य विज्ञान और पोषण में वैज्ञानिक अनुसंधान के महत्व पर जोर देते हुए आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा, आज के खाद्य-संबंधी चुनौतियों का समाधान पारंपरिक जड़ों से जुड़े नवाचारी, विज्ञान-समर्थित उपायों से ही संभव है। आयुर्वेद आहार पर हमारा शोध निवारक स्वास्थ्य के लिए बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, जो समकालीन समाज के लिए टिकाऊ और पौष्टिक प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए प्राचीन आहार ज्ञान को आधुनिक विज्ञान से जोड़ता है।
यह उल्लेखनीय है कि भारत की प्राचीन आयुर्वेद परंपराओं के अनुरूप, भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने आयुष मंत्रालय के साथ परामर्श कर फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स (आयुर्वेद आहार) रेगुलेशंस, 2022 की शुरुआत की। ये विनियम 5 मई 2022 को आधिकारिक रूप से अधिसूचित किए गए, जिनमें "आयुर्वेद आहार" को उन खाद्य पदार्थों के रूप में परिभाषित किया गया है, जो आयुर्वेद के प्रामाणिक ग्रंथों में बताए गए विधियों, सामग्रियों या प्रक्रियाओं के अनुसार तैयार किए जाते हैं। इन विनियमों का उद्देश्य आयुर्वेद आधारित आहार प्रथाओं की पहचान और प्रामाणिकता को सुरक्षित करना है, ताकि आयुर्वेद के खाद्य निर्माण के मूल सिद्धांतों का संरक्षण हो सके। इन प्रयासों के तहत, एफएसएसएआई ने 7 जून 2022 को आयुर्वेद आहार के लिए एक विशेष लोगो भी जारी किया।
भारत में आयुर्वेद अनुसंधान के प्रमुख संस्थान के रूप में, सीसीआरएएस ने विभिन्न वैज्ञानिक पहलों और प्रमाणीकरण परियोजनाओं के माध्यम से आयुर्वेद आहार को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जेडीआरएएस के इस विशेष अंक में नवीनतम शोध गतिविधियों को प्रस्तुत किया गया है, जो आयुर्वेद के समग्र आहार सिद्धांतों और उनके वैज्ञानिक आधार पर केंद्रित हैं। सीसीआरएएस सक्रिय रूप से पारंपरिक आहार व्यंजनों का दस्तावेजीकरण और प्रमाणीकरण कर रहा है, आहार में उपयोग किए जाने वाले विशिष्ट औषधीय पौधों के स्वास्थ्य पर प्रभाव का अध्ययन कर रहा है, और आधुनिक आहार प्रथाओं के अनुरूप प्रोटोकॉल स्थापित करने के लिए व्यंजनों का मानकीकरण कर रहा है।
आयुर्वेद आहार पर सीसीआरएएस की शोध गतिविधि के बारे में बात करते हुए, सीसीआरएएस के महानिदेशक, प्रो. रविनारायण आचार्य ने कहा, "आयुर्वेद आहार पर हमारे शोध ने अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त की है, जो आधुनिक खाद्य विज्ञान में आयुर्वेद के आहार प्रथाओं के मूल्य को उजागर करता है। अब जब एफएसएसएआई ने आयुर्वेद आहार को मान्यता दी है, सीसीआरएएस अग्रणी भूमिका में है, पारंपरिक ज्ञान को वैश्विक स्वास्थ्य प्राथमिकताओं के साथ संरेखित करते हुए आज की चुनौतियों के लिए स्थायी, विज्ञान-समर्थित पोषण समाधान प्रदान कर रहा है।
व्यापक शोध के माध्यम से, सीसीआरएएस का उद्देश्य पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक स्वास्थ्य प्रथाओं के बीच संबंध बनाना है। परिषद ने पीढ़ियों से चली आ रही पारंपरिक आहार प्रथाओं और व्यंजनों का दस्तावेजीकरण करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में सर्वेक्षण अध्ययन किए हैं। इसके अतिरिक्त, इन खाद्य पदार्थों के पोषण संबंधी और चिकित्सीय लाभों को सत्यापित करने के लिए वैज्ञानिक सत्यापन प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही, आयुर्वेद-आधारित व्यंजनों के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का विकास उनकी तैयारी में गुणवत्ता और स्थिरता सुनिश्चित करता है। ये पहल साक्ष्य-आधारित आहार दिशानिर्देश बनाने में योगदान देती हैं, जो समकालीन समाज के लिए प्रासंगिक हैं और आयुर्वेद आहार को वैश्विक स्तर पर सुलभ और स्वीकार्य बनाती हैं।
आयुर्वेद का पारंपरिक ज्ञान भोजन को स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती का आधार मानता है। यह समझ, जिसने लंबे समय से समुदायों को स्वस्थ आहार विकल्प चुनने में मार्गदर्शन किया है, अब आयुष मंत्रालय और एफएसएसएआई के नियामक ढांचे द्वारा समर्थित है। सीसीआरएएस की व्यापक शोध पहल इस बात पर प्रकाश डालती है कि आयुर्वेद आहार आधुनिक सार्वजनिक स्वास्थ्य मांगों को कैसे पूरा कर सकता है। व्यंजनों और सामग्रियों के प्रमाणीकरण पर केंद्रित परियोजनाओं के साथ, सीसीआरएएस का लक्ष्य आयुर्वेद आहार के वैज्ञानिक रूप से सिद्ध लाभों को मुख्यधारा के आहार प्रथाओं में लाना है, जिससे लोगों को स्वस्थ और सूचित विकल्प अपनाने में मदद मिल सके।
जेडीआरएएस के इस विशेष अंक के लॉन्च के साथ, सीसीआरएएस आयुर्वेद की आहार विरासत को और अधिक जानने और प्रमाणित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराता है। इस विशेष अंक में प्रकाशित अध्ययनों में यह बताया गया है कि वैज्ञानिक विधियों के साथ एकीकरण कैसे पोषण पर आयुर्वेदिक दृष्टिकोण को समृद्ध करता है, जो परंपरा और साक्ष्य-आधारित स्वास्थ्य समाधान का एक अनूठा मिश्रण प्रस्तुत करता है। इस क्षेत्र में अनुसंधान को आगे बढ़ाकर, सीसीआरएएस यह सुनिश्चित करता है कि आयुर्वेद आहार प्राचीन ज्ञान और आधुनिक पोषण विज्ञान के बीच सेतु बनाते हुए प्रासंगिक और व्यापक रूप से लागू हो सके।
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