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क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को कृषि, बागवानी और संबद्ध गतिविधियों के लिए ऋण उपलब्ध कराने पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए : निर्मला सीतारमण

 


केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने कल अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर में अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड तथा त्रिपुरा राज्यों को कवर करने वाले पूर्वोत्तर क्षेत्र के 7 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के कार्य प्रदर्शन की समीक्षा करने के लिए एक बैठक की अध्यक्षता की।


बैठक के दौरान वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के सचिव एम नागराजू, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और प्रायोजक बैंकों के अध्यक्ष (एसबीआई के अध्यक्ष व पीएनबी के प्रबंध निदेशक),  वरिष्ठ अधिकारी, भारतीय रिजर्व बैंक, नाबार्ड तथा सिडबी के प्रतिनिधि व 7 राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।


इस समीक्षा बैठक के दौरान, केंद्रीय वित्त मंत्री को 2022 में नियमित रूप से पुनरावलोकन शुरू होने के बाद से पूर्वोत्तर में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के वित्तीय प्रदर्शन और उनके प्रौद्योगिकी उन्नयन में सुधार के बारे में अवगत कराया गया।


वित्त वर्ष 2024 में 15% का समेकित सीआरएआर बेहतर स्तर पर है और इसकी लाभकारिता वित्त वर्ष 2023 में 11 करोड़ रुपये के घाटे से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 205 करोड़ रुपये के शुद्ध लाभ तक पहुंच गई है। सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (जीएनपीए) भी वित्त वर्ष 2022 के 15.6% से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 7.3% हो गई हैं।


केंद्रीय वित्त मंत्री ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सहयोग देने में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए उनसे आग्रह किया कि वे अपने प्रायोजक बैंकों के सक्रिय सहयोग से भारत सरकार की विभिन्न प्रमुख योजनाओं जैसे मुद्रा, पीएम विश्वकर्मा आदि के अंतर्गत ऋण वितरण में वृद्धि करें। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि कृषि, बागवानी और इनसे संबंधित गतिविधियों जैसे सुअर पालन, बकरी पालन, रेशम पालन, मत्स्य पालन आदि के लिए भी ऋण देने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। उन्होंने नाबार्ड को पूर्वोत्तर क्षेत्र में एफपीओ (किसान उत्पादक संगठनों) को बढ़ावा देने का भी निर्देश दिया।


केंद्रीय वित्त मंत्री ने हितधारकों से पूर्वोत्तर राज्यों में बागवानी, फूलों की खेती, रेशम-कीट उत्पादन और पशुपालन की क्षमता का दोहन करने हेतु संभावनाओं का पता लगाने, कृषि ऋण प्रदान करने के उद्देश्य से भूमि अभिलेखों की उपलब्धता के मुद्दे का समाधान करने और कृषि प्रसंस्करण इकाइयों के लिए ऋण संख्या बढ़ाने के लक्ष्य के साथ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को शामिल करते हुए विशेष राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) की बैठकें आयोजित करने का भी आग्रह किया। उन्होंने पूर्वोत्तर के राज्यों से प्रत्येक जिले में सचल पशु चिकित्सा इकाइयों का प्रावधान सुनिश्चित करने का आग्रह भी किया।


बैठक के दौरान निर्मला सीतारमण ने इस बात पर जोर दिया कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के प्रत्येक पात्र व्यक्ति को प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के अंतर्गत लाभ प्रदान किया जाना चाहिए।


केंद्रीय वित्त मंत्री ने वित्तीय सेवा विभाग को राज्यों के ओडीओपी विक्रेताओं को ऋण देने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय और एनईसी (पूर्वोत्तर परिषद) के साथ बैठक आयोजित करने का निर्देश दिया। सीतारमण ने उन्हें यह भी सलाह दी कि सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को उपयुक्त एमएसएमई उत्पाद तैयार करने चाहिए, जो एमएसएमई गतिविधियों के साथ लाभदायक साबित हों और उनका विस्तार करने के लिए उनके व्यक्तिगत एवं स्थानीय संपर्क सुविधा का लाभ उठाएं।


केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को अपने प्रायोजक बैंकों और नाबार्ड से आवश्यक सहयोग लेकर, अभी तक लाभ से वंचित रहे इलाकों में विशेषकर नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में नए बैंकिंग टचप्वाइंट खोलने के भी निर्देश दिये।


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