हिन्दी विश्वविद्यालय देश-विदेश में प्राप्त करेगा ख्याति: मुख्यमंत्री डॉ. यादव
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय देश- विदेश में अपनी गतिविधियों से ख्याति अर्जित करेगा। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल विहारी वाजपेयी के हिन्दी के प्रति सम्मान के मूल भाव को आगे बढ़ाने में भी यह विश्वविद्यालय सक्षम और समर्थ होगा।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आज अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय की साधारण सभा की सप्तम बैठक को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा कि जिस कल्पना के साथ इस विश्वविद्यालय की स्थापना की गई उससे पूरा भारत विश्वविद्यालय की ओर बड़ी आशा से देख रहा है। स्व. वाजपेयी का व्यक्तित्व विराट था। उन्होंने आजीवन हिन्दी भाषा का गौरव बढ़ाने का कार्य किया है। अस्सी के दशक में विदेश मंत्री के रूप में श्री अटल बिहारी वाजपेयी जब विदेश गए, तब वहॉ भी उन्होंने हिन्दी भाषा को आगे बढ़ाने का कार्य किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में अपना संबोधन हिन्दी में दिया। स्व. वाजपेयी ने अपना जीवन राष्ट्रभाषा हिन्दी की सेवा में लगाया। वर्ष 2020 में प्रधानमंत्री मोदी ने नई शिक्षा नीति लागू की है जिसके अंतर्गत एक विश्व विद्यालय सभी तरह की शिक्षा देने में समर्थ होगा। हिन्दी विश्वविद्यालय को ओपन यूनिवर्सिटी के रूप में सभी लोग अंगीकार कर रहे हैं और इसकी स्वीकार्यता बढ़ रही है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय ने चिकित्सा जगत में हिन्दी पुस्तकों के प्रकाशन में सहयोग कर आदर्श स्थापित किया है। विश्वविद्यालय ने कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आशा व्यक्त की कि यह विश्वविद्यालय नई ख्याति अर्जित करेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने उच्च शिक्षा मंत्री इन्दर सिंह परमार, कुलगुरू डहेरिया और साधारण सभा के सदस्यों, अध्यापकों एवं विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय में निरंतर बढ़ रही सुविधाओं के लिए बधाई और मंगलकामनाएँ दीं।
उच्च शिक्षा मंत्री इन्दर सिंह परमार ने विश्वविद्यालय परिसर में मुख्यमंत्री डॉ. यादव के प्रतिनिधि के रूप में सहभागिता की। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर स्थापित विश्वविद्यालय, अपने नाम के अनुरूप गौरव को प्राप्त करेगा और उनके कृतित्व का अनुसरण कर प्रगतिपथ पर अग्रसर रहेगा। परमार ने कहा स्व. वाजपेयी युग पुरुष थे, देश के प्रति परम निष्ठा के परिचायक थे। उन्होंने भारतीय भाव "वसुधैव कुटुंबकम्" और भारत की "अपनी भाषा हिंदी" को विश्व मंच पर स्थापित किया है। भारत की मिट्टी को वैश्विक स्तर पर सुगंधित करने का कार्य किया है और विश्वमंच पर भारत की मातृभाषा हिंदी की महत्ता को अभिव्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि स्व. वाजपेयी ने विदेश मंत्री रहते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी भाषा में बोलने का संकल्प लिया और विश्वमंच के समक्ष भारतीयता और राष्ट्र के प्रति सर्वोच्च कृतज्ञता के भाव अभिव्यक्त किया। उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने कहा कि स्व. वाजपेयी के भावानुरूप भारतीय भाषाएं, राष्ट्र भाषा एवं मातृभाषा के प्रति निष्ठा भाव जागृत करने की आवश्यकता है।परमार ने कहा कि विश्व में भारत को पुनः सिरमौर बनाने की संकल्पना में स्व. वाजपेयी के जीवन दर्शन से प्रेरित भावना का समावेश कर सभी को सहभागिता करना होगी। उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने भारतीय पुरातन ज्ञान पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने भारत के पारंपरिक ज्ञान पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण आधारित नव सृजन को युगानुकुल परिप्रेक्ष्य में शोध एवं अनुसंधान के साथ पुनः स्थापित करने की बात कही। उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने भारत के परंपरागत ज्ञान के आधार पर विश्व में स्थापित विभिन्न दृष्टिकोण पर व्यापक प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत को ज्ञान के क्षेत्र में पुनः विश्वगुरु बनाने के लिए हमें अपनी उपलब्धियों, ज्ञान एवं नायकों के सर्वोच्च बलिदान पर गर्व करना होगा। स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष 2047 में देश को पुनः विश्वमंच पर सिरमौर बनाने के लिए सभी की सहभागिता जरूरी है।
उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव को विश्वविद्यालय की गतिविधियों से अवगत कराया। अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलगुरू खेमसिंह डहेरिया ने साधारण सभा में प्रस्तुत विषयों की जानकारी दी। इस अवसर पर सांसद वी.डी. शर्मा और विधायक रामेश्वर शर्मा भी उपस्थित रहे।
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