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भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी से पैरा शटलर बने सुहास ने जीता रजत पदक


 भारतीय पैरा-शटलर सुहास यतिराज ने पेरिस 2024 पैरालंपिक में पुरुष एकल एसएल4 श्रेणी में रजत पदक जीतकर पैरालंपिक में अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखा। एसएल4 श्रेणी उन एथलीटों के लिए है, जिनके एक या दोनों निचले अंगों में विकलांगता है । उन्हें चलने या दौड़ने में संतुलन बनाने में थोड़ी परेशानी होती है ।


फ्रांस के लुकास माजुर के खिलाफ एक कड़े मुकाबले वाले फाइनल में, सुहास ने टोक्यो पैरालंपिक 2020 में अपनी सफलता के बाद लगातार दूसरा रजत पदक हासिल किया। इस उपलब्धि के साथ, सुहास टोक्यो और पेरिस पैरालंपिक दोनों में पदक जीतने वाले एकमात्र भारतीय शटलर बन गए हैं, जिससे पैरा-बैडमिंटन में उनकी पोज़िशन अधिक मजबूत हुई है।


सुहास एल. यतिराज वर्तमान में पुरुष एकल एसएल4 श्रेणी में विश्व में नंबर 1 (3 सितंबर, 2024 तक) रैंक पर हैं। सुहास टोक्यो 2020 पैरालंपिक के रजत पदक विजेता हैं। उत्तर प्रदेश कैडर के 2007 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, सुहास गौतम बुद्ध नगर के जिला मजिस्ट्रेट के रूप में भी काम कर चुके हैं। उन्हें पैरा-बैडमिंटन में प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से भी नवाज़ा जा गया है। सुहास यतिराज का जन्म 07 फरवरी, 1983 को कर्नाटक के शिवमोग्गा में हुआ था। उन्हें अपने बाएं टखने में जन्मजात विकृति का सामना करना पड़ा।


उन्होंने अपनी शारीरिक बाधाओं के बावजूद  दृढ़ संकल्प के साथ अपनी शैक्षणिक आकांक्षाओं को पूरा किया। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हसन जिले के पास डुड्डा में पूरी की और बाद में अपनी माध्यमिक शिक्षा के लिए शिवमोग्गा में डीवीएस इंडिपेंडेंट कॉलेज में दाखिला लिया। अकादमिक रूप से उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए, सुहास ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) सुरथकल से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। ​​फिर उनका चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में हुआ। अन्य एथलीटों की तुलना में सुहास की पैरा-बैडमिंटन में एंट्री बाद में हुई फिर भी खेल में उनका उदय उल्कापिंड से कम नहीं रहा।


बैडमिंटन के प्रति अपने जुनून के साथ अपने पेशेवर करियर को संतुलित करते हुए सुहास ने एक आईएएस अधिकारी के रूप में पूर्ण निष्ठा और समर्पण के साथ काम किया है। वे अर्जुन पुरस्कार और पैरालंपिक पदक प्राप्त करने वाले एकमात्र भारतीय आईएएस अधिकारी बन गए। इस कामयाबी से पहले उन्होंने हांग्जो में एशियाई पैरा गेम्स 2022 में पोडियम पर शीर्ष स्थान हासिल किया था ।


सुहास एल. यतिराज ने पैरा-बैडमिंटन में लगातार अपनी असाधारण प्रतिभा और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया है। उनके करियर की शुरुआत 2016 एशियाई पैरा-बैडमिंटन चैंपियनशिप में एक महत्वपूर्ण जीत के साथ हुई।


वहां उन्होंने पुरुष एकल में स्वर्ण पदक हासिल किया। उन्होंने साल 2018 एशियाई पैरा खेलों में कांस्य पदक के साथ खेल में आगे बढ़ना जारी रखा। सुहास ने टोक्यो वर्ष 2020 पैरालंपिक में पुरुष एकल में रजत पदक जीत कर सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ। वर्ष 2022 एशियाई पैरा खेलों में स्वर्ण पदक के साथ उनकी सफलता जारी रही, जिसने इस खेल में उनकी अमिट पहचान कायम की।


हाल ही में, सुहास ने 2024 विश्व चैंपियनशिप में पुरुष एकल में स्वर्ण पदक जीता।  अब 2024 पेरिस पैरालंपिक में रजत पदक कर शीर्ष पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ियों में अपनी जगह बनाई है ।


सुहास एल. यतिराज को एक एक सफल खिलाड़ी बनने में भारत सरकार ने भी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से मदद की है । थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, स्कॉटलैंड, इंग्लैंड, बहरीन, ब्राजील, स्पेन, जापान और चीन जैसे देशों में प्रशिक्षण और प्रतियोगिताओं में भाग लेकर उन्होंने विदेशी अनुभव का लाभ उठाया है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने लखनऊ के डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में 50-दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में भाग लिया। प्रशिक्षण और प्रतियोगिता व्यय के साथ-साथ बैडमिंटन उपकरणों की खरीद के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। सुहास को टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) के तहत पर्याप्त भत्ता भी मिला है, जिससे कि खेल में बेहतर प्रदर्शन के लिए आवश्यक संसाधनों की ज़रूरत  को पूरा किया जा सके ।


उनकी उपलब्धियों के सम्मान में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मौजूदा पेरिस पैरालिंपिक में पुरुष एकल एसएल4 बैडमिंटन स्पर्धा में रजत पदक जीतने पर सुहास यतिराज को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने कहा, "सुहास यतिराज ने पैरालिंपिक 2024 में पुरुष एकल एसएल4 बैडमिंटन स्पर्धा में प्रतिष्ठित रजत पदक जीता है, जो एक शानदार उपलब्धि है! भारत उनकी सफलता पर खुशी मना रहा है। हमें खेलों के प्रति उनकी दृढ़ता और प्रतिबद्धता पर गर्व है।"


सुहास एल. यतिराज का एक आईएएस अधिकारी से विश्व स्तरीय पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी बनने का उल्लेखनीय सफर असाधारण दृढ़ता और उत्कृष्टता का उदाहरण है। 2024 पेरिस पैरालिंपिक में रजत पदक जीत कर  अटूट प्रतिबद्धता और कौशल को उजागर करता है।


महत्वपूर्ण सरकारी पहलों और स्वयं के अथक प्रयास से  सुहास ने न केवल अपने करियर में सफलता की बुलंदियों को छुआ है, बल्कि दुनिया भर में भारत को एक नई पहचान दिलाई है। खेल और सार्वजनिक सेवा में बेहतर प्रदर्शन करने वाले सुहास सभी के लिए आदर्श बने हुए हैं।


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