केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के शुरूआती 100 दिनों में सहकारिता मंत्रालय द्वारा की गई पहलों पर नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता की I इस अवसर पर केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी और पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ़ ललन सिंह, सहकारिता राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल और सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे I इस दौरान अमित शाह ने 2 लाख नई प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS), प्राथमिक डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों के गठन एवं सुदृढ़ीकरण' पर मार्गदर्शिका' के साथ, श्वेत क्रांति 2.0 और ‘सहकारिता में सहकार’ (Cooperation Among Cooperatives) पर मानक संचालन प्रक्रिया का शुभारंभ किया।
राष्ट्रीय सम्मलेन को संबोधित करते हुए केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के तीसरे टर्म के 100 दिनों में सहकारिता मंत्रालय ने 10 महत्त्वपूर्ण पहल की है, उनमें से आज तीन पहलों को लॉन्च किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्षों से मांग की जा रही थी कि देश के 15 से अधिक क्षेत्रों में अलग-अलग प्रकार की गतिविधियों से जुड़े सहकारिता आंदोलन को समग्र अप्रोच और समान विकास की दृष्टि से देश के हर गाँव तक पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सहकारिता मंत्रालय का गठन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि लगभग 70 सालों तक यह मांग सत्ता के गलियारों में इधर-उधर घूमती रही, लेकिन आखिरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने सहकारिता मंत्रालय की स्वतंत्र स्थापना का निर्णय लिया। शाह ने कहा कि उनके लिए सौभाग्य की बात है कि मोदी ने उन्हें देश का पहला सहकारिता मंत्री बनने का सम्मान दिया।
अमित शाह ने कहा कि सहकारिता वह शक्ति है जो व्यक्ति की शक्तियों को सामूहिक रूप से लाकर समाज की शक्ति के रूप में परिवर्तित कर देती है। उन्होंने कहा कि सहकारिता का मंत्र यही है कि सब साथ आएं, सबकी अच्छाइयां एकत्रित हों, किसी की कमी दिखाई नहीं दे और सभी की अच्छाइयां राष्ट्र के विकास में सहायक बनें । उन्होंने कहा कि सहकारिता के मंत्र ने कई जगह पर चमत्कारिक परिणाम दिखाए हैं, लेकिन पिछले काफी समय से हमारे देश में सहकारिता आंदोलन अप्रासंगिक बनता जा रहा था। शाह ने कहा कि बीते 70 साल में सहकारिता आंदोलन के मूल तत्व को सहेज कर सहकारिता में जो आवश्यक परिवर्तन करने थे, वह नहीं किए गए जिसके कारण कुछ राज्यों में सहकारिता काफी सफल हुई, कुछ में राज्य सरकार की दया पर निर्भर हो गई और कुछ राज्यों से लुप्त ही हो गई ।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि जब सहकारिता मंत्रालय का गठन किया गया तो उद्देश्य यह था कि देश के हर जिले और गाँव में सहकारिता पुनर्जीवित हो, सहकारिता के क़ानून एवं इसकी कार्य-प्रणालियों और संस्कृतियों को समय अनुकूल बनाकर नए सांचे में ढाला जाए, ताकि इससे 140 करोड़ की आबादी वाले देश में रोजगार प्रदान करने की एक नई शुरुआत हो और न केवल देश संपन्न बने, बल्कि हर व्यक्ति स्वाभिमान के साथ अपना जीवन-यापन कर पाए। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य को लेकर पिछले तीन साल में काफी काम हुए, जिसके तहत अब तक 60 से अधिक नई पहल की गई है। शाह ने कहा कि पिछले 100 दिनों में जो 10 पहल की गई है, वे सभी पहल सहकारिता क्षेत्र को परिपूर्ण बनाने में बहुत बड़ा योगदान देंगी। उन्होंने कहा कि इनमें दो लाख, प्राथमिक डेयरी, मत्स्य सहकारी समितियां और PACS, इन तीनों का एक संयुक्त प्रस्ताव बनाकर हमने देशभर में भेजा था। देश की सभी राज्य सरकारों ने इसे स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि दो लाख प्राथमिक सहकारी समितियां रजिस्टर होते ही देश में एक भी पंचायत ऐसी नहीं होगी जहां PACS, डेयरी या मत्स्य सहकारी समिति ना हो। उन्होंने कहा कि ऐसा होते ही पूरे देश में सहकारिता की पहुँच हो सकेगी, जिससे तहसील और जिले की संस्थाएं बनेंगी और राज्य की संस्थाओं को भी नई ताकत और गति मिलेगी।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि पुराने समय में बने PACS बंद हो गए, लेकिन अब जो नए PACS रजिस्टर होंगे वह बंद नहीं होंगे, क्योंकि हमने PACS को 25 अलग-अलग तरह के कामों से जोड़कर इन्हें viable बनाया गया है। उन्होंने कहा कि PACS पहले कृषि के लिए शॉर्ट टर्म लोन देने का काम करते थे, लेकिन अब PACS को डेयरी, मत्स्य, गोदाम, सस्ते अनाज की दुकान, सस्ती दवाइयों की दुकान, पेट्रोल पंप, एलपीजी सिलिंडर, पानी के वितरण जैसी चीजों से जोड़ा गया है। इससे हर पंचायत में बनने वाले PACS हमारे त्रिस्तरीय सहकारी ढांचे को मजबूती देने का काम करेंगे। उन्होंने कहा कि जब PACS मजबूत होता है, PACS की संख्या बढ़ती है तो जिला सहकारी बैंक अपने आप मजबूत होते हैं, और जिला सहकारी बैंक मजबूत होने से राज्य सहकारी बैंक मजबूत होते हैं।
अमित शाह ने कहा कि श्वेत क्रांति 2.0 के SoP का विमोचन किया गया है। उन्होंने कहा कि श्वेत क्रांति 2.0 महिला स्वावलंबन और महिला सशक्तिकरण का काम करेगा। उन्होंने कहा कि दूध के उत्पादन और ख़ास कर सहकारी डेयरियों के साथ माताएं-बहनें जुड़ी हुई हैं। माताओं-बहनों को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने का काम डेयरी क्षेत्र जितना और कोई नहीं कर सकता। शाह ने कहा कि कई राज्यों में ऐसे उदाहरण देखने को मिलते हैं। उन्होंने कहा कि गुजरात में 36 लाख बहनें डेयरी क्षेत्र से जुड़कर ₹60,000 करोड़ का व्यापार करती हैं। उन्होंने कहा कि अमूल आज पूरे विश्व में खाद्य क्षेत्र में सबसे विश्वसनीय ब्रांड बन गया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से श्वेत क्रांति 2.0 महिला सशक्तिकरण करेगा, उसी तरह श्वेत क्रांति 2.0 कुपोषण के खिलाफ जंग को भी ताकत देगा। जब दूध की उपलब्धता बढ़ेगी तो उसका सबसे बड़ा फायदा गरीब और कुपोषित बच्चों को होगा। गुजरात का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि मां का स्वभाव है कि अगर घर में पशुपालन हो रहा है और मां डेयरी के साथ जुड़ी है तो वह अपने बच्चे को निश्चित रूप से पहले कुपोषण से मुक्त करने का काम करेगी। शाह ने कहा कि सरकार कितने भी साल प्रयास करे, जब तक मां प्रयास नहीं करे, बच्चे को कुपोषण से नहीं निकाल सकते।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि हमारे घरों में माताएं और बहनें बहुत सारा काम करती हैं, लेकिन इसके बावजूद औपचारिक रोजगार कि दृष्टि से बेरोजगार मानी जाती हैं। उन्होंने कहा कि श्वेत क्रांति 2.0 ख़ास कर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को रोजगार देने का काम करेगा। जब महिलाओं के नाम पर बैंक चेक आएगा तो उन्हें बहुत ख़ुशी मिलेगी। अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के संकल्प को पशुपालन के व्यवसाय से और मजबूत होगी।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि कृषि योग्य भूमि की उर्वरता बढ़ाने का काम भी पशुपालन के माध्यम से ही होगा। उन्होंने कहा कि इन उद्देश्यों को एक साथ समाहित करते हुए श्वेत क्रांति 2.0 लॉन्च किया गया है। उन्होंने कहा कि कई लोगों को आशंका है कि इस कार्यक्रम के लिए बजट सहायता मिलेगी कि नहीं, इसलिए पशुपालन विभाग को आश्वस्त करता हूँ कि यह सरकार की सर्वाधिक प्राथमिकता वाला क्षेत्र है और इस कार्यक्रम को पूरा बजट मिलेगा।
अमित शाह ने कहा कि एक महत्त्वपूर्ण पहल ‘सहकारिता में सहकार’ के रूप में की गई है। उन्होंने कहा कि इसके तहत हमने गुजरात के दो जिलों पंचमहाल और बनासकांठा में प्रयोग किए। हमने सहकारिता क्षेत्र की सभी संस्थाओं के बैंक अकाउंट सहकारिता बैंक में खोलने का फैसला किया। इसके अलावा प्राथमिक सहकारी समिति और दुग्ध उत्पादक समिति के साथ जुड़ी माताओं बहनों को एक डेबिट और क्रेडिट कार्ड दिया, जिससे वे वित्तीय रूप से मजबूत हुईं । इसके तहत अब तक चार लाख से ज्यादा बैंक अकाउंट कोऑपरेटिव बैंक में खोलने का काम हुआ है और सिर्फ दो जिलों में 550 करोड़ रुपए से अधिक राशि जमा हुई। 1732 माइक्रो एटीएम खुले और 20,000 नए क्रेडिट कार्ड देने का काम हुआ। लगभग 24 लाख के डिजिटल ट्रांजेक्शन नए क्रेडिट कार्ड से हुए। उन्होंने कहा कि अब तक गुजरात में पूरी तरह इसे लागू नहीं किया गया है, लेकिन 9 लाख से अधिक अकाउंट अब तक खुले हैं और करीब 4000 करोड़ रुपए का डिपोजिट कोऑपरेटिव बैंकों में बढ़ा है। इसके तहत कुल 2600 माइक्रो एटीएम बांट दिए गए हैं। अब हम इसे राष्ट्रीय स्तर पर ले जा रहे हैं।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि हमने सुगमता के लिए तय किया है इस कार्यक्रम के लिए जिले को यूनिट बनाएंगे। जिस जिले में सहकारिता का व्यापार अच्छा है, उन जिलों में ‘सहकारिता में सहकार’ के कांसेप्ट को लॉन्च करेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार में किसी जिले या तहसील पर आप अंगुली रख दें, आपको सहकारी समितियां नज़र आया जायेंगी। उन्होंने कहा कि सहकारिता मंत्रालय के पास पूरे देश की हर पंचायत, हर तहसील, हर जिले और हर राज्य का डेटाबेस है, और साथ ही पूरे राष्ट्र का डेटाबेस है। इससे पता लगाया जा सकता है कि सहकारी समितियां कितनी है, किस प्रकार की है, उसका ऑडिट वर्क कैसा है। उन्होंने कहा कि कोऑपरेटिव डेटाबेस को हमने राज्य सहकारी रजिस्टर और जिलों के सहकारी रजिस्टर और हर जिला कोऑपरेटिव बैंक की ब्रांच में उपलब्ध करा दिया है।
अमित शाह ने कहा कि नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) नई डेयरियां खोलने का प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि एक वैज्ञानिक आयोजन हमने किया है और इसके लिए सभी प्रकार की एजेंसियां एक साथ मिलकर काम कर रही हैं।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि श्वेत क्रांति के क्षेत्र में भारत पूरी दुनिया में एक सितारा बनकर उभरा है। भारत दुनिया का सबसे ज्यादा दुग्ध उत्पादन करने वाला देश बन चुका है। पशु चारा, बीज, कृत्रिम गर्भाधान, गोबर से आर्थिक स्थिति में सुधार और पशुओं के स्वास्थ्य जैसे क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन आया है। उन्होंने कहा कि इसे और भी मजबूत कर डेयरी के जरिये अब विदेशी मुद्रा का अर्जन भी किया जा सकेगा। हम हमारे प्रोडक्ट को विश्व के बाजार में एक्सपोर्ट भी करेंगे और इसके लिए टेस्टिंग उपकरण, बल्क में मिल्क कलेक्शन और डेयरी इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े हुए 38 उपकरणों के स्वदेशी उत्पादन के लिए भी भारत सरकार ने एक वैज्ञानिक आयोजन किया है जो आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री हम सबके सामने रखेंगे। डेयरी से जुड़ी कोई भी मशीनरी अब हमें नीदरलैंड से या जापान से लाने की जरूरत नहीं है। इनका शत प्रतिशत उत्पादन भारत में होगा। एक प्रकार से डेयरी क्षेत्र में हम संपूर्ण आत्मनिर्भर होने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़े हैं।
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