केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कल यहां भारत मंडपम में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा आयोजित विश्व खाद्य भारत 2024 कार्यक्रम के साथ-साथ भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा आयोजित वैश्विक खाद्य विनियामक शिखर सम्मेलन 2024 के दूसरे संस्करण में “मानक निर्धारण प्रक्रिया में क्षेत्रीय सहयोग एवं सामंजस्य बढ़ाना” विषय पर क्षेत्रीय सम्मेलन को संबोधित किया। क्षेत्रीय सम्मेलन का उद्देश्य खाद्य सुरक्षा एवं मानक निर्धारण प्रक्रिया में क्षेत्रीय सहयोग एवं सामंजस्य बढ़ाना है।
सम्मेलन के महत्व पर जोर देते हुए अनुप्रिया पटेल ने कहा कि, "एशियाई क्षेत्र पर दुनिया के खाद्य उत्पादन के एक महत्वपूर्ण हिस्से की जिम्मेदारी है। इस विशिष्ठता के साथ खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप निष्पक्ष व्यापार प्रणालियों को बनाए रखने की जिम्मेदारी भी आती है। यह सम्मेलन एशिया क्षेत्र के भीतर खाद्य सुरक्षा और मानकों के लिए एक मजबूत, अधिक सहयोगी दृष्टिकोण की पुष्टि करता है। यह न केवल हमारे क्षेत्र के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ खाद्य प्रणाली की ओर हमारी सामूहिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।"
अनुप्रिया पटेल ने इस बात पर जोर दिया कि "एक क्षेत्र के रूप में हमारे पास मौजूद संभावनाओं के बावजूद, पूरे क्षेत्र में विनियामक ढाँचों, संस्थागत क्षमताओं और तकनीकी विशेषज्ञता में भारी अंतर और खाद्य सुरक्षा मानकों के बारे में राष्ट्रीय हितधारकों के बीच जागरूकता की कमी जैसी चुनौतियाँ अंतर्राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मानकों का अनुपालन करने की हमारी क्षमता को सीमित करती हैं। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए, हमें अपने संसाधनों को एकत्रित करके, तकनीकी विशेषज्ञता को साझा करके और अपनी रणनीतियों को क्रम में रखकर अपने क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाना चाहिए" क्योंकि "केवल एकता और सहयोग के माध्यम से ही हम अंतर्राष्ट्रीय खाद्य मानकों को आकार देने में क्षेत्र की भूमिका को बढ़ा सकते हैं।"
अनुप्रिया पटेल ने कहा कि "हमें नए और उभरते क्षेत्रों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। जैव-प्रौद्योगिकी और टिकाऊ खेती जैसी नई तकनीकों का प्रबंध करते हुए जलीय कृषि, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और जैविक खेती जैसे क्षेत्रों के लिए मानक विकसित किए जाने चाहिए। ये प्रगति महत्वपूर्ण हैं क्योंकि हम अपनी खाद्य प्रणालियों को भविष्य के लिए सुरक्षित, अधिक लचीला और टिकाऊ बनाने का प्रयास कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि "सम्मेलन पूरे क्षेत्र में खाद्य-सुरक्षा को सुसंगत बनाने की दिशा में सार्थक प्रगति को बढ़ावा देगा जो निर्बाध व्यापार को सुविधाजनक बनाएगा और हमारी पूरी आबादी के लिए खाद्य-सुरक्षा को भी मजबूत करेगा।"
एफएसएसएआई के सीईओ जी. कमल वर्धन राव ने कहा कि "एशिया के सामने आने वाले मुद्दे दुनिया के अन्य क्षेत्रों के सामने आने वाले मुद्दों से अलग हैं। यह क्षेत्रीय स्तर के उन मुद्दों पर चर्चा करने का एक उपयुक्त समय है जिनका वैश्विक प्रभाव हो सकता है। यह सम्मेलन उभरते बाजारों, उभरते खाद्य उत्पादों, मानकीकरण प्रक्रियाओं, गुणवत्ता आश्वासन और कार्यप्रणाली जैसे मुद्दों पर चर्चा और समाधान के लिए जानकारी बढ़ाने का अनुभव होगा।"
कोडेक्स एलीमेंटेरियस कमीशन, खाद्य मानक एजेंसी (वैश्विक मामले), यूके के अध्यक्ष स्टीव वेयरने ने कहा कि "एशियाई क्षेत्र में विविध संस्कृतियां, जलवायु और खाद्य उत्पादन प्रणालियां हैं। प्रत्येक सदस्य देश अद्वितीय जानकारी लेकर आता है। यह क्षेत्रीय सम्मेलन खाद्य मानकों और गुणवत्ता नियंत्रण पर चर्चा करने का अवसर और मंच प्रदान करता है जो पूरे क्षेत्र में नियामक ढांचे, संस्थागत क्षमताओं और तकनीकी विशेषज्ञता में विशाल अंतर का प्रबंध करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।"
शिखर सम्मेलन के क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व पर प्रकाश डालते हुए, न्यूजीलैंड के प्राथमिक उद्योग मंत्रालय के खाद्य सुरक्षा उप महानिदेशक डॉ. विंसेंट आर्बकल ने कहा कि "शिखर सम्मेलन खाद्य सुरक्षा क्षमता को प्रदर्शित करने, जानकारी साझा करने और एक-दूसरे की प्रणालियों के बारे में हमारी समझ को गहरा करने, अधिक क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने, सरकारी सहयोग और सामंजस्य को बढ़ाने के लिए एक दूसरे से सीखने का एक उत्कृष्ट अवसर है, जिससे उपभोक्ताओं, खाद्य व्यवसायों के लाभ के लिए कार्यों और प्रणालियों में सुधार होगा और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाया जा सकेगा।"
इस अवसर पर कोडेक्स - एसपीएस कॉन्टेक्ट प्वाइंट और विज्ञान तथा मानक एवं विनियमन प्रभाग, एफएसएसएआई की सलाहकार डॉ. अलका राव, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और विभिन्न देशों के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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