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डॉ. मनसुख मांडविया ने एशियाई ओलंपिक परिषद की 44वीं आम सभा को संबोधित किया


 केन्द्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल तथा श्रम और रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कल नई दिल्ली के भारत मंडपम में एशियाई ओलंपिक परिषद (ओसीए) की 44वीं आम सभा को संबोधित किया। इस अवसर पर सभी 45 एशियाई देशों के खेल प्रमुखों के साथ केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्री जे.पी. नड्डा, केन्द्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल राज्यमंत्री रक्षा खडसे, ओसीए के अध्यक्ष राजा रणधीर सिंह और भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पी. टी. उषा भी उपस्थित थीं।


अपने भाषण के दौरान, डॉ. मांडविया ने प्रतिनिधियों को देश भर में खेलों की उत्कृष्टता और एक मजबूत खेल संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु पिछले 10 वर्षों में भारत सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों के बारे में बताया। उन्होंने देश भर में खेल मानकों को ऊंचा उठाने में ‘खेलो इंडिया’, ‘टार्गेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स)’ और ‘कार्रवाई के जरिए महिलाओं को प्रेरित करके खेल जगत में उपलब्धियां हासिल करना (अस्मिता)’ जैसे सरकारी कार्यक्रमों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।


डॉ. मांडविया ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में, सरकार ने खेल बजट को 2014-15 में लगभग 143 मिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़ाकर आज लगभग 417 मिलियन अमरीकी डॉलर कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस निवेश ने एशियाई खेलों में भारत के उत्कृष्ट प्रदर्शन में योगदान दिया है। भारत ने एशियाई खेलों में 107 पदक हासिल किए हैं और एशियाई पैरा खेलों में 111 पदक जीते हैं। ये उपलब्धियां पिछले सभी रिकॉर्ड को पार कर गई हैं।


उन्होंने 'खेलो इंडिया' योजना के बारे में विस्तार से बताया। इस योजना का उद्देश्य देश भर में खेल की उत्कृष्टता को बढ़ावा देने हेतु एक जन आंदोलन को प्रेरित करना है। कुल 119 मिलियन अमेरिकी डॉलर के वार्षिक बजट के साथ, यह योजना जमीनी स्तर की प्रतिभा की पहचान एवं विकास को कवर करती है और हर साल 2,700 से अधिक बच्चों को छात्रवृत्ति प्रदान करती है। डॉ. मांडविया ने आगे कहा कि हर साल चार ‘खेलो इंडिया गेम्स’ आयोजित किए जाते हैं तथा खेलों से संबंधित स्थायी बुनियादी ढांचे को विकसित करने और युवा एथलीटों को प्रशिक्षण, आवास, आहार, शिक्षा एवं भत्ते प्रदान करने हेतु 1,050 से अधिक जिला-स्तरीय केन्द्र स्थापित किए गए हैं।


इसके अलावा, उन्होंने बताया कि ‘टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स)’ एथलीटों को ओलंपिक तथा अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की तैयारी में सहायता करती है। विशेष रूप से, पेरिस ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले 117 एथलीटों में से 28 खेलो इंडिया के एथलीट थे। इसी तरह, भारत की पैरालंपिक टीम, जिसमें 18 खेलो इंडिया एथलीट शामिल हैं, पहले ही 29 पदक हासिल कर चुकी है, जो वर्तमान में जारी पेरिस पैरालंपिक 2024 में अब तक का सबसे अधिक पदक है।


केन्द्रीय मंत्री ने ‘अस्मिता’ कार्यक्रम पर भी प्रकाश डाला, जो लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने और 18 खेल स्पर्धाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य वाली एक परिवर्तनकारी पहल है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ये सहयोगात्मक प्रयास ओलंपिक आदर्शों के अनुरूप हैं और  एशिया की खेल विरासत को मजबूत करेंगे तथा भावी पीढ़ियों को प्रेरित करेंगे।


अपने संबोधन का समापन करते हुए, डॉ. मांडविया ने ओलंपिक आंदोलन के मूल्यों को बढ़ावा देने, एथलीटों को सशक्त बनाने और खेलों से संबंधित एक प्रगतिशील माहौल को बढ़ावा देने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने एशियाई ओलंपिक परिषद की 44वीं आम सभा के आयोजन के प्रति देश का सम्मान व्यक्त किया और प्रतिनिधियों को उनके विचार-विमर्श में सफलता के लिए शुभकामनाएं दीं।


इस अवसर पर बोलते हुए, नड्डा ने कहा कि 2014 से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी देश में खेलों के विकास के प्रबल समर्थक रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके नेतृत्व में ‘खेलो इंडिया’ आंदोलन और राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय की स्थापना जैसी कई पहल शुरू की गई हैं। इन पहलों का उद्देश्य देश भर में खेलों को बढ़ावा देना और प्रतिभाओं को निखारना है।


उन्होंने खेलों से संबंधित बुनियादी ढांचे को उन्नत बनाने और एथलीटों के लिए बेहतर सुविधाएं प्रदान करने में एशियाई ओलंपिक परिषद के योगदान को भी स्वीकार किया।

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