भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व खजुराहो सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा वन नेशन, वन इलेक्शन पर कोविंद कमेटी की सिफारिशों को मंजूरी दिए जाने के ऐतिहासिक फैसले को लेकर भाजपा प्रदेश कार्यालय में मीडिया को प्रतिक्रिया दी। विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित कमेटी की सिफारिशों को मंजूरी देने का स्वागत योग्य निर्णय लिया है। भारतीय जनता पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में वन नेशन, वन इलेक्शन का वादा किया था। नरेंद्र मोदी की एक और गारंटी पूरी होने की ओर बढ़ चली है। नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने के पश्चात एक ऐसी समस्या का समाधान किया जा रहा है, जिसकी दशकों से देश आस लगाए बैठा था। इस कदम का स्वागत करते हुए मैं प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करता हूं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी की दूरदर्शिता से अमृत काल में हम नया इतिहास लिखने को तैयार हैं। इस फैसले से देश में कई प्रकार के संसाधनों की बचत होगी। इस अवधारणा से चुनावी प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाया जा सकता है और देश में एक नई राजनैतिक संस्कृति को स्थापित किया जा सकता है, जिससे लोकतंत्र को और मजबूती मिलेगी। यदि सभी चुनाव एक साथ होते हैं तो यह राजनीतिक स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा और सरकारों को कार्य करने का अधिक समय मिलेगा। एक ही समय पर चुनाव कराने से सरकारों और राजनीतिक पार्टियों के खर्चों में कमी आएगी, जिससे संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा। एक साथ चुनाव होने से राजनीतिक दल अपनी नीतियों और विकास कार्यों पर अधिक केन्द्रित कर सकेंगे।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार जो कहती है वह करके दिखाती है। हमने घोषणा पत्र में कहा था कि देश में वन नेशन, वन इलेक्शन लागू करेंगे। आज समिति की सिफारिशों को मंजूरी देकर केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इस ऐतिहासिक कार्य की शुरूआत कर दी है। उन्होंने कहा कि वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर कांग्रेस ने देश में भ्रम फैलाया, जबकि भाजपा ने अपना वादा निभाकर ऐतिहासिक कार्य किया है। विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि देश में 1951 से 1967 तक संसद और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होते थे, लेकिन बाद में यह क्रम बिगड़ गया। 1999 में लॉ कमीशन ने ये सिफारिश की थी कि संसद और राज्य विधानसभाओं के चुनाव पांच साल में एक बार होना चाहिए, ताकि देश में विकास के कार्यक्रम चलते रहें, अनावश्यक खर्चों से बचा जा सके और कानून व्यवस्था प्रभावित न हो। 2015 में भी संसदीय समिति ने अपनी 79 वीं रिपोर्ट में वन नेशन, वन इलेक्शन को चरणों में लागू करने की सिफारिश की थी। इसके आधार पर ही पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में हाई लेवल कमेटी गठित की गई थी। इस समिति ने संविधान एवं कानूनी विशेषज्ञों, राजनीतिक दलों, पूर्व न्यायाधीशों, वकीलों एवं आम लोगों से चर्चा के आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार की थी। उन्होंने कहा कि कोविंद कमेटी ने वन नेशन, वन इलेक्शन को दो चरणों में लागू करने की सिफारिश की है। पहले चरण में संसद और विधानसभाओं के चुनाव साथ होंगे। दूसरे चरण में सभी स्थानीय संस्थाओं ग्राम पंचायत, जिला पंचायत, नगर निगम, नगर पालिकाओं आदि के चुनाव होंगे। सिफारिशों को लेकर राष्ट्रव्यापी विचार-विमर्श होगा, जिसके बाद इसे लागू करने की प्रक्रिया शुरू की होगी।
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