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राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सर्वोच्‍च लेखा संस्‍थानों के एशियाई संगठन की 16वीं सभा का किया उद्घाटन

 राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सर्वोच्‍च लेखा संस्‍थानों के एशियाई संगठन की 16वीं सभा का किया उद्घाटन

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने जोर देकर कहा है कि प्रभावी लेखा परीक्षण कार्यों के लिए प्रौद्योगिकी का विकास जरूरी है। राष्ट्रपति ने आज नई दिल्ली में सर्वोच्‍च लेखा संस्‍थानों के एशियाई संगठन की 16वीं सभा का उद्घाटन करते हुए कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के लेखा परीक्षण का अधिकार पारंपरिक लेखा परीक्षण से आगे बढ़ गया है। इसमें लोक कल्याण योजनाओं और परियोजनाओं के प्रभाव का आकलन करना शामिल है, जिससे सभी नागरिकों की समान सेवा सुनिश्चित होती है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी-संचालित दुनिया में, प्रौद्योगिकी का उपयोग करके अधिक से अधिक सार्वजनिक सेवाएं तेजी से प्रदान की जा रही हैं। राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि आज, दुनिया एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है जहां कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग और भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी जैसी उभरती डिजिटल प्रौद्योगिकि आधुनिक शासन की रीढ़ बन रही हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर- डीपीआई डिजिटल अर्थव्यवस्था के कामकाज और नागरिकों को प्रदान की जाने वाली सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए आधार के रूप में कार्य करता है। उन्होंने कहा कि डिजिटल पहचान से लेकर ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्म तक, डीपीआई में सार्वजनिक सेवाओं और वस्तुओं की डिलीवरी में क्रांतिकारी बदलाव लाने, उन्हें अधिक सुलभ, कुशल और समावेशी बनाने की क्षमता है।



उन्होंने कहा कि दुनिया के कई हिस्सों में महिलाओं और समाज के कमजोर वर्गों की डिजिटल प्रौद्योगिकियों तक कम पहुंच, डिजिटल कौशल विकसित करने के कम अवसर और डिजिटल अर्थव्यवस्था में उनका प्रतिनिधित्व भी कम है। राष्ट्रपति ने कहा कि इस अंतर से न केवल आवश्यक सेवाओं तक पहुंचने की उनकी क्षमता सीमित होती है बल्कि असमानता भी कायम रहती है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में सर्वोच्च लेखा परीक्षण संस्थानों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने कहा कि लेखा परीक्षक के रूप में, उनके पास यह सुनिश्चित करने की अनूठी जिम्मेदारी और अवसर है कि डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को इस तरह से डिजाइन और कार्यान्वित किया जाए जो सभी के लिए समावेशी और सुलभ हो।

राष्‍ट्रपति मुर्मु ने कहा कि भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक- कैग देश की सार्वजनिक वित्त व्‍यवस्‍था में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान ने कैग कार्यालय को व्यापक अधिकार और पूर्ण स्वायत्तता प्रदान की है। राष्ट्रपति ने कहा कि कैग का कार्यालय संविधान निर्माताओं की उम्मीदों पर खरा उतरा है। उन्होंने कहा कि यह नैतिक आचरण की एक आदर्श संहिता का पालन करता है जो इसके कामकाज में ईमानदारी के उच्चतम स्‍तर को सुनिश्चित करती है। उन्‍होंने कहा कि सार्वजनिक वित्त व्‍यवस्‍था के प्रभावी लेखा परीक्षण के लिए समयसीमा भी बेहद महत्वपूर्ण है। 

राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि लेखा परीक्षण और लेखा कार्य पुराना व्‍यवसाय है और प्राचीन भारतीय ग्रंथों में भी इसका उल्‍लेख मिलता है कि राजकोषीय विवेक और वित्तीय ईमानदारी शासन के महत्वपूर्ण तत्व हैं। उन्होंने कहा कि मिस्र, यूनान और रोम की सभ्यता में भी इस तरह के संदर्भ पाए जा सकते हैं।

चार दिन के सम्मेलन में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने में सर्वोच्च लेखा परीक्षण संस्थानों की महत्‍वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की जाएगी। इस वर्ष की बैठक का एक प्रमुख आकर्षण वर्ष 2024 से 2027 की अवधि के लिए भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक गिरीश चंद्र मुर्मु द्वारा इस एशियाई संगठन की अध्यक्षता ग्रहण करना है। इस सभा में 42 देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के 200 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।

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