वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों से कोर बैंकिंग पर विशेष ध्यान देने पर जोर दिया है। कल नई दिल्ली में रिजर्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल की बैठक को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने बैंकों से जमा और उधारी राशि से संबंधित प्रमुख कार्यों को प्राथमिकता देने को कहा। बैठक में उपस्थित रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि बैंक ब्याज दरों पर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है। उन्होंने कहा कि जमा और उधारी पर ब्याज दर विनियमित होते रहते हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार बैंकिंग नियम संशोधन ला रही है जिसका लंबे समय से इंतजार था। उन्होंने कहा कि संशोधनों में सहकारी बैंकिंग क्षेत्र से संबंधित महत्वपूर्ण पुनर्गठन संशोधन शामिल हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नामांकन प्रावधानों की शुरूआत एक ग्राहक-अनुकूल कदम है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि ग्राहकों के पास व्यक्तियों को नामांकित करने का विकल्प है और नामांकित व्यक्ति आसानी से अपने उचित अधिकारों का दावा कर सकते हैं। वित्तमंत्री ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण संशोधनों में डेटा रिपोर्टिंग संशोधन भी शामिल है। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम नियामक अनुपालन के लिए बैंकों की रिपोर्टिंग तिथियों को हर महीने के दूसरे और चौथे शुक्रवार के बजाय 15वें और आखिरी दिन किये जाने की व्यवस्था की गई है।
यह बैठक 2024-25 के केंद्रीय बजट और संसद में सरकार के कुछ संशोधनों के साथ वित्त विधेयक पारित होने के कुछ दिनों बाद हुई है। बैठक में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी भी मौजूद थे। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2024 कल लोकसभा में पेश किया। इस विधेयक के माध्यम से भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934, बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949, भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम 1955, बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम 1970 और बैंकिंग कंपनियों (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण), अधिनियम 1980 में संशोधन किये जाने का प्रावधान है।
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