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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चेन्नई में कलैग्नार एम करुणानिधि की जन्म शताब्दी के अवसर पर स्मारक सिक्का जारी किया

 


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कल चेन्नई में तमिलनाडु के पांच बार के पूर्व मुख्यमंत्री कलैग्नार एम करुणानिधि की जन्म शताब्दी के अवसर पर एक स्मारक सिक्का जारी किया। रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में, उन्हें देश के सबसे सम्मानित नेताओं में से एक नेता, भारतीय राजनीति के दिग्गज, एक सक्षम प्रशासक, सामाजिक न्याय के समर्थक और एक सांस्कृतिक दिग्गज बताया।


रक्षा मंत्री ने जनता की भलाई के लिए तमिलनाडु के पूर्व मुख्य मंत्री के योगदान का स्मरण करते हुए कहा, “तमिल पहचान में गहराई से शामिल होने के बावजूद, थिरु करुणानिधि ने कभी भी क्षेत्रवाद को राष्ट्र की एकता को कमजोर करने की अनुमति नहीं दी। उन्होंने समझा कि भारतीय लोकतंत्र की ताकत विविध आवाजों और पहचानों को समायोजित करने की क्षमता में निहित है। राज्य के अधिकारों पर उनका आग्रह संघ के भीतर सत्ता के अधिक संतुलित और न्यायसंगत वितरण का आह्वान था। संघवाद के प्रति यह प्रतिबद्धता भारतीयता का एक प्रमुख पहलू है। भारत की विविधता इसकी ताकत है और संघीय संरचना इस विविधता को एक एकीकृत ढांचे के भीतर पनपने की अनुमति देती है।''


राजनाथ सिंह ने कलैग्नार करुणानिधि को एक ऐसा नेता बताया जिनकी राष्ट्रीय शासन में भूमिका और लोकतांत्रिक सिद्धांतों की वकालत ने भारतीय लोकतंत्र पर एक अमिट छाप छोड़ी है। उन्होंने कहा कि भारतीय पहचान की समावेशी प्रकृति तिरु करुणानिधि की नीतियों में परिलक्षित होती है, जो हाशिए पर रहने वाले कमज़ोर लोगों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच प्रदान करने और यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित है कि महिलाओं और बच्चों को आगे बढ़ने के लिए आवश्यक सहायता मिले।


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “कलैग्नार करुणानिधि महिलाओं और हाशिए पर रहने वाले कमज़ोर समुदायों के अधिकारों के लिए एक प्रखर समर्थक थे। उन्होंने ऐसे सुधारों का नेतृत्व किया, जिन्होंने लैंगिक समानता को प्रोत्साहन दिया और महिलाओं को सशक्त बनाया। उनकी सरकार ने स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला कानून बनाया और उन्होंने महिला स्वयं सहायता समूहों के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कृषि मजदूरों और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों सहित असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए कल्याण बोर्ड बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका काम एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है कि किसी राष्ट्र की प्रगति का असली माप इस बात में निहित है कि वह अपने सबसे कमजोर नागरिकों के साथ कैसा व्यवहार करता है।”


तिरु करुणानिधि को एक कुशल प्रशासक बताते हुए राजनाथ सिंह ने उनके कार्यक्रम 'मनु निधि थित्तम' का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने जिला अधिकारियों को हर सप्ताह एक दिन केवल लोगों की समस्याओं को सुनने के लिए आरक्षित करने का आदेश दिया था। राजनाथ सिंह ने कहा, “मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल का सबसे महत्वपूर्ण पहलू शिक्षा और बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित करना था। उनकी दृष्टि केवल तमिलनाडु तक ही सीमित नहीं थी। उन्होंने माना कि किसी एक राज्य की प्रगति समग्र रूप से राष्ट्र की प्रगति में योगदान देती है। उनका कार्य आत्मनिर्भरता और प्रगति की भारतीय भावना का प्रमाण है। उनकी विरासत यह याद दिलाती है कि क्षेत्रीय विकास राष्ट्रीय विकास का अभिन्न अंग है। यह सहकारी संघवाद के विचार का सबसे अच्छा उदाहरण है।”


रक्षा मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार लोकतंत्र और सहकारी संघवाद की शक्ति में विश्वास करती है। उन्होंने कहा कि भारत न केवल अपने 1.4 अरब लोगों की आकांक्षाओं को पूरा कर रहा है, बल्कि यह लोगों को यह आशा भी दे रहा है कि लोकतंत्र विकास प्रदान करता है और लोगों को सशक्त बनाता है।


राजनाथ सिंह ने उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु दोनों में रक्षा औद्योगिक गलियारे स्थापित करने के निर्णय का उदाहरण बताते हुए इस बात पर बल दिया कि विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पक्षपातपूर्ण राजनीति से परे है। उन्होंने कहा, “इन गलियारों का उद्देश्य घरेलू रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहन देना और आयात पर निर्भरता कम करना है। इन्हें निवेश आकर्षित करने, नवाचार को प्रोत्साहन देने और भारत में रक्षा उत्पादन के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।” उन्होंने दक्षिण भारत के साथ उत्तर और पश्चिम भारत के सांस्कृतिक एकीकरण का उत्सव मनाने के उद्देश्य से काशी-तमिल संगमम और सौराष्ट्र-तमिल संगमम पहल पर भी प्रकाश डाला।


रक्षा मंत्री ने कलैग्नार करुणानिधि को एक विपुल लेखक, कवि और नाटककार बताया, जिनके कार्यों ने तमिल साहित्य और सिनेमा को समृद्ध किया। उन्होंने कहा, “तमिल भाषा और संस्कृति को प्रोत्साहन देने के उनके प्रयास उनके इस विश्वास पर आधारित थे कि किसी की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करना और उसका उत्सव मनाना व्यापक भारतीय पहचान के लिए आवश्यक है।“ यह कार्यक्रम तमिलनाडु सरकार द्वारा आयोजित किया गया था और इसमें मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और संसदीय कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री डॉ. एल मुरुगन सहित अन्य लोगों ने भाग लिया।




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