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केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज लांच की आसियान-भारत फेलोशिप


 केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि तथा सम्बद्ध विज्ञान में उच्च शिक्षा के लिए आज आसियान-भारत फैलोशिप लांच की। आईसीएआर कन्वेंशन सेंटर, राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र परिसर, पूसा, नई दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर तथा भागीरथ चौधरी भी उपस्थित थे।


यहां केंद्रीय मंत्री चौहान ने कहा कि भारत अत्यंत प्राचीन व महान राष्ट्र है। भारत ने हजारों साल पहले कहा कि हम सब एक परिवार है, वसुधैव कुटुम्बकम। एक ही चेतना हम सब में है। भारत ने यह भी कहा कि सबको अपने जैसा मानो, जियो और जीने दो। इसलिए, सदैव से हम विश्व के कल्याण की कामना करते रहे हैं। सबका मंगल हो, यह सोच भारत की रही है। आसियान देशों का जिक्र करते हुए चौहान ने कहा कि हम सब एक है और एक-दूसरे के बिना हमारा काम नहीं चल सकता। उन्होंने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान इसके प्राण है। आज भी हमारी बड़ी आबादी खेती से ही रोजगार प्राप्त करती है। आज कृषि के सामने जलवायु परिवर्तन सहित कई चुनौतियां है। भारत ने सदैव कृषि को प्रधानता दी है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कृषि के विकास एवं किसानों के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते है।


चौहान ने कहा कि समस्याओं के समाधान में कृषि शिक्षा की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। सरकार ने पिछले समय में कृषि शिक्षा पर बहुत ध्यान दिया है, फोकस किया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) इस काम में गंभीरतापूर्वक लगी हुई है। देश में 66 राज्य कृषि विश्वविद्यालय, 4 डीम्ड वि.वि., 3 केंद्रीय कृषि वि.वि. और कृषि संकाय वाले 4 केंद्रीय वि.वि. हैं, जिनकी देखरेख आईसीएआर द्वारा की जाती है। ये संस्थान स्नातक से लेकर डॉक्टरेट तक कई तरह के पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं, जिनमें कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्यपालन, पशु चिकित्सा, कृषि इंजीनियरिंग आदि शामिल है। वे कृषि विज्ञान में महत्वपूर्ण शोध भी करते हैं और किसानों-हितधारकों को सेवाएं प्रदान करते हैं। उच्च कृषि शिक्षा के लिए छात्रों को आकर्षित करने व कृषि और सम्बद्ध विज्ञान विषयों में शिक्षण और अनुसंधान में शैक्षिक उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए, आईसीएआर यूजी, पीजी और पीएचडी के छात्रों को परिषद द्वारा विकसित निर्धारित मानदंडों के आधार पर विभिन्न छात्रवृत्ति प्रदान करके सहायता करता है। ये छात्रवृत्ति आईसीएआर कोटा सीटों, आईसीएआर प्रवेश परीक्षा द्वारा कृषि विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने वाले छात्रों को प्रदान की जाती हैं। आईसीएआर-एयू प्रणाली की क्षमता और योग्यता को अब दुनियाभर में मान्यता मिल चुकी है। कई विकासशील देशों के छात्र भारतीय कृषि विश्वविद्यालयों में विकसित अनुसंधान और शिक्षण सुविधाओं से आकर्षित होकर लाभान्वित हो रहे हैं। भारत सहित विकासशील देशों में निजी क्षेत्र में अधिक नौकरियां पैदा हो रही हैं, इसलिए विकासशील देशों के छात्रों में भारतीय कृषि को समझने के लिए भारत आकर अध्ययन करने की रूचि बढ़ रही है। भारत में उनके उच्च अध्ययन का समर्थन करने के लिए, आईसीएआर द्वारा नेताजी सुभाष फेलोशिप, भारत-अफ्रीका फेलोशिप, भारत-अफगानिस्तान फेलोशिप, बिम्सटेक फेलोशिप जैसे कई कार्यक्रम/फेलोशिप शुरू किए गए हैं।


केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आसियान भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ और उसके बाद इस पर निर्मित ‘इंडो-पैसिफिक विजन’ की आधारशिला है। भारत आसियान एकता, आसियान केंद्रीयता, इंडो-पैसिफिक पर आसियान के दृष्टिकोण का समर्थन करता है। हमारे लिए आसियान के साथ राजनीतिक, आर्थिक, सुरक्षा सहयोग सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत आसियान और पूर्वी एशिया शिखर मंचों को जो प्राथमिकता देता है, वह पिछले साल हमारे जी-20 शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री मोदी की जकार्ता यात्रा से स्पष्ट है। उन्होंने 12 सूत्रीय योजना की घोषणा की थी, जिस पर काफी हद तक अमल किया गया है। चौहान ने कहा कि भारत और आसियान के सदस्य देशों के बीच कृषि सहयोग की अपार संभावनाएं हैं, क्योंकि आसियान व भारत कृषि-जलवायु क्षेत्रों के मामले में बहुत समानताएं साझा करते हैं। अब कृषि और वानिकी में आसियान-भारत सहयोग के लिए कृषि व सम्बद्ध विज्ञान में उच्च शिक्षा के लिए आसियान-भारत फेलोशिप आरंभ की जा रही है। फेलोशिप विशेष रूप से कृषि और सम्बद्ध विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में शक्तियों की पूर्ति और क्षमता का दोहन करने के लिए साझा हितों के नए और उभरते क्षेत्रों में स्नातकोत्तर कार्यक्रम के लिए है। इससे आसियान सदस्य देशों के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शोध-आधारित शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिलेगी, जिससे भारत और आसियान समुदाय एक-दूसरे के करीब आएंगे व आसियान देशों से आने वाले छात्रों के बीच ज्ञान के अंतर-सांस्कृतिक और अंतरराष्ट्रीय आदान-प्रदान के लिए मंच प्रदान होगा। फेलोशिप से आसियान राष्ट्रीयता के छात्रों को आईसीएआर व कृषि विश्वविद्यालय प्रणालियों के तहत सर्वश्रेष्ठ भारतीय कृषि विश्वविद्यालयों में, जरूरत अनुसार, पहचाने गए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में कृषि व सम्बद्ध विज्ञान में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने हेतु सहायता प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त भाग लेने वाले संस्थानों के भारतीय संकाय सदस्यों की आसियान सदस्य देशों में परिचयात्मक यात्राओं के माध्यम से आसियान क्षमता निर्माण में सहायता प्रदान की जाएगी। इससे कृषि और संबद्ध विज्ञान क्षेत्र के विकास के लिए आसियान में विशेषज्ञ मानव संसाधन के एक पूल के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा।


उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा पेश किए जाने वाले मास्टर्स प्रोग्राम छात्रों को अत्याधुनिक शोध से परिचित कराएंगे, उन्हें भविष्य के नवाचारों हेतु तैयार करेंगे। साथ ही, देश में दीर्घकालिक डिग्री कोर्स शोधकर्ताओं को लंबे समय तक जुड़े रहने में मदद कर सकता है और आसियान तथा भारत को कृषि से संबंधित मुद्दों को बेहतर तरीके से समझने में मदद कर सकता है। शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से कृषि और सम्बद्ध विज्ञान में मास्टर डिग्री के लिए आसियान सदस्य देशों के छात्रों को 50 फेलोशिप (प्रति वर्ष 10) प्रदान की जाएंगी। परियोजना 5 साल के लिए आसियान-भारत कोष के तहत वित्त पोषण के लिए मंजूर की गई है, जिसमें फेलोशिप, प्रवेश शुल्क, रहने का खर्च व आकस्मिकता शामिल है। कार्यक्रम में उच्चायुक्त, आसियान देशों व सचिवालय के प्रतिनिधि, भारतीय मिशन के सहयोगी, आईसीएआर के अधिकारी उपस्थित थे। डीडीजी डॉ. आर.सी. अग्रवाल ने स्वागत भाषण दिया। एडीजी सीमा जग्गी ने आभार माना।


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