माननीय नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कल शुक्रवार को विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 1 की बहनों के साथ रक्षाबंधन पर्व मनाया। कार्यक्रम का आयोजन बाबाश्री रिजोर्ट में किया गया था। इस अवसर उनके साथ धर्मपत्नी आशा विजयवर्गीय, पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय, पूर्व राज्यसभा सांसद नारायण सिंह केसरी, पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता, पार्षदगण, मंडल अध्यक्ष, भाजपा पदाधिकारीगण एवं हजारो की संख्या में लाडली बहने मौजूद थी।
कार्यक्रम में माननीय नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने मातृशक्ति के चरणों में नमन करते हुए कहा कि हमने जब रक्षाबंधन का कार्यक्रम करने का विचार किया था, तब यह नहीं सोचा था कि इतनी बड़ी संख्या में मातृशक्ति आशीर्वाद देने के लिए आएगी। भारतवर्ष में मातृशक्ति साक्षात देवी का स्वरूप है। मैं दोनो हाथ जोड़कर उनको प्रणाम करता हूं। उन्होंने इस अवसर पर देवी भागवत के एक प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि जब प्रलय हो गया था तब केवल ब्रहमा, विष्णु, महेश और देवी पराम्बा बची थी। प्रलय के शांत होने पर चारों को सृष्टि के निर्माण का विचार आया, किंतु इसके लिए विवाह आवश्यक था। तब पराम्बा ने त्रिदेव से कहा कि मुझसे विवाह कर लो। ब्रहमा जी, विष्णु जी ने तो मना कर दिया, किंतु शिवजी ने देवी की अपार शक्ति को देखा और कहा कि आपका तीसरा नेत्र बहुत खूबसूरत है ये मुझे दे दो तो मैं आपसे विवाह कर लूंगा। देवी पराम्बा ने तीसरा नेत्र दे तो दिया, लेकिन यह नहीं बताया कि उसके खोलने से सामने जो होगा वह भस्म हो जाएगा। शिवजी ने तीसरा नेत्र जैसे ही खोला सामने खड़ी देवी पराम्बा भस्म हो गई। उसके पश्चात शिवजी ने भस्म की तीन ढेरियां लगाई, जिससे तीन देवीयां पार्वती, लक्ष्मी औऱ ब्रह्माणी प्रकट हुई। शेष भस्म को उन्होंने मंत्र मारकर फूंक मारी तो वह भारतवर्ष में आकर गिरी। इसलिए भारतवर्ष की हमारी मातृशक्ति देवी पराम्बा का स्वरूप है।
रक्षाबंधन का पर्व भजनों के सुमधुर संगीत के साथ दिनभर चलता रहा, जिसमें बड़ी संख्या में मातृशक्ति ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर कार्यक्रम में उपस्थित बहनों ने मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का फूलो की पंखुड़ियों से स्वागत कर कलाई पर राखी बांधकर रक्षाबंधन का उत्सव मनाया। कार्यक्रम में वयोवृद्ध 4 बार के विधायक औऱ पूर्व राज्यसभा सांसद नारायण सिंहजी केसरी का सम्मान किया गया। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि नारायण सिंह केसरी के जीवन के सौ साल पूरे होने पर भी हम ऐसा ही उत्सव मनाएंगे ।
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