डॉ मोहन यादव के पास मुख्यमंत्री पद की बागडोर आने के बाद महाकाल की नगरी उज्जैन से क्षेत्रीय उद्योग सम्मेलनों की जिस श्रृंखला का शुभारंभ हुआ उसकी तीसरी कड़ी के रूप में गत दिवस ग्वालियर में संपन्न क्षेत्रीय उद्योग सम्मेलन ने सफलता के नये आयाम स्थापित किए। राजमाता विजया राजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित इस महत्वपूर्ण आयोजन में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में क्षेत्रीय स्तर पर औद्योगिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से विभिन्न स्थानों पर आयोजित किए जा रहे क्षेत्रीय उद्योग सम्मेलनों के परिणामों प्रदेश में औद्योगिक विकास और रोजगार निर्माण की नई संभावनाओं को जन्म दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार निवेशकों और उद्योगपतियों के भरोसे की कसौटी पर खरी उतरने के लिए प्रतिबद्ध है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने एक ओर उद्योगपतियों से मध्यप्रदेश में अपनी गतिविधियों को विस्तार देने की अपील की वहीं दूसरी ओर युवाओं को राज्य में उद्यम प्रारंभ करने के लिए सरकार की ओर से हरसंभव सहयोग देने का भरोसा भी दिलाया। मुख्यमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि प्रदेश में औद्योगिक गतिविधियों को विस्तार देने के लिए उनकी सरकार द्वारा लागू की गई नीतियों और व्यवस्थाओं को उद्योगपतियों और निवेशकों का भरोसा जीतने में सफलता मिली है। क्षेत्रीय उद्योग सम्मेलनों की इस श्रृंखला की अगली दो कड़ियों के रूप में अगले माहों में रीवा और सागर में क्षेत्रीय उद्योग सम्मेलनों के आयोजन की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।
ग्वालियर में संपन्न इस क्षेत्रीय उद्योग सम्मेलन को अत्यंत सफल माना जा रहा है। मध्यप्रदेश सरकार के निमंत्रण पर सम्मेलन में पधारे उद्योगपतियों से राज्य में निवेश करने के लिए 8000 करोड़ के प्रस्ताव मिले जिनमें अदाणी का 3500 करोड़ का निवेश प्रस्ताव शामिल है। इसके अतिरिक्त रिलायंस की राज्य में नवीकरणीय गैस और संपीडित बायो गैस परियोजनाओं में निवेश करने की योजना है। मध्यप्रदेश में स्थापित होने वाले उद्योगों में लगभग 35000 युवाओं को रोजगार मिलने की उम्मीद है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन होने के बाद डॉ मोहन यादव ने राज्य के द्रुतगामी औद्योगिक विकास का जो संकल्प व्यक्त किया था उसकी पूर्ति के लिए उन्होंने पिछले आठ माहों में प्रभावी कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री की इच्छा शक्ति और अथक परिश्रम ने इसमें सोने में सुगंध की कहावत को चरितार्थ कर दी है। इस सिलसिले में मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों देश के शीर्ष उद्योगपतियों से जो बैठकें की हैं उसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं।यह इस बात का भी परिचायक है कि उद्योगपतियों का भरोसा जीतने में मुख्यमंत्री को निरंतर सफलता मिल रही है। उज्जैन, जबलपुर और ग्वालियर में संपन्न क्षेत्रीय उद्योग सम्मेलनों में शिरकत करने पहुंचे उद्योगपतियों ने मध्यप्रदेश में प्रचुर मात्रा में नये औद्योगिक निवेश की संभावनाओं को बलवती बना दिया है।
मुख्यमंत्री का मानना है कि भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है और इसमें मध्यप्रदेश महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मध्यप्रदेश भौगोलिक दृष्टि से औद्योगिक निवेश के लिए पूरी तरह अनुकूल है। यहां बेहतर रोड और रेल कनेक्टिविटी के साथ ही पर्याप्त कुशल मानव संसाधन उपलब्ध हैं। विगत दिनों देवास में आयोजित अखिल भारतीय उद्योग सम्मेलन में उन्होंने देश के बड़े उद्योगपतियों को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार मध्यप्रदेश में निवेश करने के लिए यहां उन्हें हर तरह की सुविधा उपलब्ध कराएगी। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के औद्योगिक में महिला शक्ति के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि औद्योगिक जगत में महिला शक्ति ने अपने परिश्रम से नयी दिशा प्रदान की है। मुख्यमंत्री ने इस सम्मेलन में मौजूद सभी उद्योगपतियों से अनुरोध किया कि वे कम से कम पांच युवाओं को अनिवार्य रूप से प्रशिक्षित करें।
मुख्यमंत्री ने विभिन्न मंचों से इस बात को बार बार दुहराया है कि उनकी सरकार मध्यप्रदेश को औद्योगिक विकास दर के मामले में देश के सभी राज्यों में अग्रणी स्थान पर लाने के लिए काम कर रही हैं और इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों में उसे निरंतर सफलता मिल रही है ।मुख्यमंत्री मोहन यादव की पहल पर मध्यप्रदेश में एक सुखद औद्योगिक वातावरण विकसित करने के उद्देश्य से राज्य में रीजनल इंडस्ट्रियल कान्क्लेव का सिलसिला प्रारंभ हो चुका है। उज्जैन और जबलपुर में हुए कान्क्लेव बेहद सफल रहे हैं और अब हाल में ही ग्वालियर में संपन्न कान्क्लेव भी बेहद सफल रही है। अगली कान्क्लेव के लिए रीवा का चयन किया गया है जिसकी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। में भी इसमें दो राय नहीं हो सकती कि भोपाल में अगले साल फरवरी में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की पृष्ठभूमि तैयार करने में इन सभी रीजनल इंडस्ट्रियल कान्क्लेव की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव ने वर्ष 2025 को मध्यप्रदेश में उद्योग वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा की है। मध्यप्रदेश के इतिहास में किसी वर्ष को उद्योग वर्ष के रूप में मनाए जाने का संभवतः यह पहला अवसर होगा । मोहन यादव सरकार की यह योजना राज्य में नये औद्योगिक वातावरण के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेगी। मध्यप्रदेश की औद्योगिक प्रगति में तेजी लाने की मंशा से ही राज्य के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने गत जुलाई में विधानसभा में पेश बजट में उद्योग क्षेत्र के 4190 करोड़ रुपए की राशि आवंटित करने का प्रस्ताव रखा था। यह राशि राज्य के पिछले वर्ष के बजट में इसी मद में आवंटित राशि से लगभग 40 प्रतिशत अधिक है।
नोट - लेखक राजनैतिक विश्लेषक है।
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