पश्चिम बंगाल के 34 साल के वाम शासन के दूसरे और आखिरी सीएम थे बुद्धदेव भट्टाचार्य
पश्चिम बंगाल में सियासी गलियारों में गुरुवार को शोक की लहर दौड़ गई। यहां के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्होंने 80 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। सीपीआई (एम) के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने उनके निधन की जानकारी साझा की है।
बुद्धदेव भट्टाचार्य का निधन सुबह आठ बजकर 20 मिनट पर हुआ। आपको बताते चलें कि वो काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। वो कई अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे।पिछले कुछ दिनों से उनका इलाज उनके घर पर ही किया जा रहा था। उनके परिवार की बात करें तो उनकी पत्नी और एक बेटी हैं।
कौन हैं बुद्धदेव भट्टाचार्य?
बुद्धदेव भट्टाचार्य का जन्म एक मार्च 1944 को उत्तरी कोलकाता में हुआ था। उनके पुरखों का घर बांग्लादेश में है। उन्होंने कोलकाता के प्रतिष्ठित प्रेसीडेंसी कॉलेज से बंगाली साहित्य की पढ़ाई की थी और बंगाली (ऑनर्स) में बीए की डिग्री प्राप्त की थी। बाद में वह साल 1966 में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) से जुड़ गए थे। उन्हें जून, 1968 में सीपीआई की युवा शाखा डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन का राज्य सचिव बनाया गया था, जिसके बाद डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया में विलय हो गया था।
इतने साल रहे सीएम पद पर
भट्टाचार्य साल 2000 से 2011 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे थे। इसके साथ ही वह कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के पोलितब्यूरो के सदस्य भी रह चुके हैं।
औद्योगीकरण अभियान की शुरुआत की थी
कहा जाता है कि बंगाल में औद्योगीकरण अभियान की शुरुआत बुद्धदेव भट्टाचार्य ने ही की थी। उन्होंने ही टाटा की नैनो का उत्पादन प्लांट कोलकाता के पास स्थित सिंगुर में स्थापित कराया था। साल 2009 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद साल 2011 के विधानसभा चुनाव में भी उन्हें तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के उम्मीदवार मनीष गुप्ता के हाथों मात मिली थी।
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