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10वें राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का उत्‍सव मनाने के लिए नई दिल्ली के हथकरघा हाट में “विरासत” प्रदर्शनी शुरू हुई


 10वें राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का उत्‍सव मनाने को समर्पित एक पखवाड़े तक चलने वाली प्रदर्शनी “विरासत” शनिवार, को जनपथ स्थित हथकरघा हाट में शुरू हुई। इस प्रदर्शनी का आयोजन भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय, के तत्वावधान में राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम लिमिटेड (एनएचडीसी) कर रहा है, जिसका समापन 16 अगस्त, 2024 को होगा।


“विरासत” श्रृंखला - “विशेष हथकरघा प्रदर्शनी” पिछले वर्ष राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर आयोजित समारोहों की अगली कड़ी है। इस वर्ष 10वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 7 अगस्त को मनाया जाएगा। इस आयोजित कार्यक्रम का फोकस  हथकरघा और हस्तशिल्प की गौरवशाली परंपरा पर है। यह हथकरघा बुनकरों और कारीगरों को बाजार भी उपलब्‍ध करवाता है और इससे जोड़ता है।


यह प्रदर्शनी सुबह 11 बजे से रात 8 बजे तक आम जनता के लिए खुली रहेगी। प्रदर्शनी में भारत के कुछ आकर्षक स्थलों के हथकरघा उत्पादों का प्रदर्शन और बिक्री की जाएगी।


कार्यक्रम के दौरान, हथकरघा हाट में कई गतिविधियाँ का आयोजन किया जाएगा, इसमें हथकरघा बुनकरों और कारीगरों के लिए 75 स्टॉल, जहाँ वे सीधे उत्पादों की खुदरा बिक्री कर सकेंगे, भारत के उत्कृष्ट हथकरघा उत्पादों की क्यूरेटेड थीम डिस्प्ले, प्राकृतिक रंगों, कस्तूरी कपास, डिजाइन और निर्यात पर कार्यशालाएँ, लाइव करघा प्रदर्शन, भारत के लोक नृत्य, स्वादिष्ट क्षेत्रीय व्यंजन आदि शामिल हैं।


माननीय प्रधानमंत्री ने, मन की बात (112वें एपिसोड) के दौरान इस बात की सराहना की थी कि हथकरघा कारीगरों का कौशल देश के कोने-कोने में फैला हुआ है और जिस तरह से हथकरघा उत्पादों ने लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई है, वह अत्‍यन्‍त सफल और उल्‍लेखनीय है। साथ ही उन्होंने स्थानीय उत्पादों के साथ फोटो को हैशटैग ‘#MyProductMyPride’ के साथ सोशल मीडिया पर अपलोड करने का आग्रह किया।


7 अगस्त, 1905 को शुरू किए गए स्वदेशी आंदोलन ने स्वदेशी उद्योगों और विशेष रूप से हथकरघा बुनकरों को प्रोत्साहित किया था। भारत सरकार ने वर्ष 2015 में, हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया।


माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 7 अगस्त 2015 को चेन्नई में प्रथम राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया गया। इस दिन हथकरघा बुनकर समुदाय को सम्मानित किया जाता है तथा देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में इस क्षेत्र के योगदान को विशिष्‍ट रूप से दर्शाया जाता है। हमारी हथकरघा विरासत की रक्षा करने तथा हथकरघा बुनकरों और श्रमिकों को अधिक अवसर प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाने के संकल्प की पुनः पुष्टि की जाती है। सरकार हथकरघा क्षेत्र के सतत विकास को सुनिश्चित करने का प्रयास करती है, जिससे हमारे हथकरघा बुनकरों और श्रमिकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा सके तथा उनकी उत्कृष्ट शिल्पकला पर उन्‍हें गौरान्‍वित किया जा सके।


हथकरघा क्षेत्र हमारे देश की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। भारत का हथकरघा क्षेत्र प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 35 लाख व्‍यक्तियों को रोजगार प्रदान करता है, जो देश में कृषि क्षेत्र के बाद दूसरे स्थान पर है। हथकरघा बुनाई की कला में पारंपरिक मूल्यों से जुड़ाव है और इसके प्रत्येक क्षेत्र में उत्कृष्ट विविधताएँ हैं। बनारसी, जामदानी, बालूचरी, मधुबनी, कोसा, इक्कत, पटोला, तसर सिल्क, माहेश्वरी, मोइरांग फी, बालूचरी, फुलकारी, लहरिया, खंडुआ और तंगलिया जैसे कुछ विशिष्‍ट उत्पादों के नाम हैं जिनकी विशिष्ट बुनाई, डिजाइन और पारंपरिक रूपांकन दुनिया भर के ग्राहकों को आकर्षित करता है।


भारत सरकार ने हथकरघा के लिए विभिन्न योजनाओं का शुभारंभ किया हैं, जिसमें शून्य दोष और पर्यावरण पर शून्य प्रभाव वाले उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों की ब्रांडिंग की जाती है, ताकि उत्पादों की विशिष्टता को प्रदर्शित करने के अलावा उत्पादों को प्रोत्साहित किया जा सके और उन्हें एक अलग पहचान प्रदान की जा सके। यह खरीदार के लिए एक गारंटी भी है कि खरीदा जा रहा उत्पाद वास्तव में हस्तनिर्मित है। प्रदर्शनी में सभी प्रदर्शकों को अपने उत्कृष्ट उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है और इस प्रकार हथकरघा उत्पादों के लिए बाजार और हथकरघा समुदाय की आय में सुधार करने का लक्ष्य रखा गया है।

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