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हेमंत सोरेन की जमानत ने झामुमो में जगाई नयी आस


कृष्णमोहन झा


गत पांच माहों से जेल में बंद झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को झारखंड  हाईकोर्ट ने नियमित जमानत दे दी है । झारखंड हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत देते हुए जो टिप्पणियां की हैं उनसे हेमंत सोरेन को जनता के बीच एक बार फिर से सिर उठाकर जाने की ताक़त मिल गई है। हाईकोर्ट ने कहा है कि पूरे केस से पता चलता है कि प्रार्थी विशेष रूप से अथवा अ‌प्रत्यक्ष  रूप से  8.86 एकड़ भूमि के अधिग्रहण और कब्जे के साथ साथ " अपराध की आय " से जुड़े होने में शामिल नहीं है। किसी भी रजिस्टर अथवा राजस्व रिकॉर्ड में उक्त भूमि के अधिग्रहण और कब्जे में प्रार्थी की प्रत्यक्ष भागीदारी का कोई संकेत नहीं है। हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय के इस दावे को स्वीकार नहीं किया कि उसकी समय पर की गई कार्रवाई ने अभिलेखों में हेराफेरी और जालसाजी करके भूमि के अवैध अधिग्रहण को रोका है। झारखंड हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि प्रार्थी को जमानत देने से कोई हानि नहीं होने वाली है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं ने जमानत पर पूर्व मुख्यमंत्री की रिहाई को सत्य की जीत बताया है। हाईकोर्ट के इस फैसले  से  झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता और  कार्यकर्ता बेहद उत्साहित हैं क्योंकि  अब यह सुनिश्चित माना जा रहा है कि इसी साल होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा के चुनाव अभियान का नेतृत्व हेमंत सोरेन ही करेंगे। इसमें कोई संदेह नहीं कि हेमंत सोरेन राज्य में पार्टी का सबसे लोकप्रिय चेहरा रहे हैं। अब उनकी पत्नी कल्पना सोरेन भी राज्य की गांगेय विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में जीत कर विधायक बन चुकी हैं। निःसंदेह उनकी जीत में हेमंत सोरेन की लोकप्रियता की  महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 


गौरतलब है कि कल्पना सोरेन ने इसी साल जनवरी में हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किए जाने के बाद राजनीति में प्रवेश करने का फैसला किया था। गांगेय विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव में उनकी जीत से यह संदेश मिलता है कि  झारखंड की जनता और पार्टी कार्यकर्ता  राजनीति में उनके  प्रवेश के फैसले की आतुरता से प्रतीक्षा  कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि कल्पना सोरेन उच्च शिक्षित महिला हैं और विगत 5 माहों में झारखंड की राजनीति में उनका कद तेजी से बढ़ा है।  हेमंत सोरेन के  जेल में रहने के दौरान कल्पना सोरेन ने न केवल झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं का मनोबल बनाए रखा बल्कि उन्होंने विपक्षी इंडिया गठबंधन की रैलियों में विरोधी दलों के नेताओं के साथ मंच भी साझा किया। चुनावी रैलियों में मर्यादित भाषा में संवाद अदायगी की उनकी प्रभावी शैली से विरोधी  दलों के नेताओं और आम  जनता के बीच जगह बनाने में उन्हें पर्याप्त सफलता मिली। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राजनीति में उनकी सक्रियता से झारखंड में पार्टी का जनाधार बढ़ना तय है। वे हेमंत सोरेन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं और उन्हें हर जगह अपनी प्रभावी उपस्थिति का अहसास कराने में सफलता मिल रही है।

          

जमानत पर हेमंत सोरेन की रिहाई के बाद अब यह सवाल उठना लाज़िमी है कि क्या उनके मन में वर्तमान मुख्यमंत्री चम्पई सोरेन से कुर्सी खाली करा कर पुनः मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने की महत्वाकांक्षा जाग सकती है। अभी ऐसे कोई आसार नहीं आ रहे हैं। मुख्यमंत्री चम्पई सोरेन से उनके परिवारिक संबंध हैं और इसमें संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है कि चंपई सोरेन आगे भी पूरी तरह से हेमंत सोरेन के प्रति वफादार बने रहेंगे। ऐसा माना जा रहा है कि पुनः मुख्यमंत्री पद की बागडोर संभालने के बजाय हेमंत सोरेन इसी साल होने वाले झारखंड विधानसभा के चुनावों में पार्टी की विजय सुनिश्चित करने पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित करेंगे। उन्हें जमानत पर रिहा करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने जो टिप्पणियां की हैं वे उनका मनोबल बढ़ाने में सहायक सिद्ध होंगी। यद्यपि झारखंड हाईकोर्ट ने उन्हें केवल नियमित जमानत पर रिहा किया है परन्तु अब वे जनता को यही भरोसा दिलाने की पुरजोर कोशिश करेंगे  कि वे पूरी तरह निर्दोष हैं। 


भाजपा को भी इस सच्चाई का अहसास है कि इसी साल होने वाले विधानसभा चुनावों में जब झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रचार अभियान की बागडोर हेमंत सोरेन के पास होगी तो वे पहले से अधिक आक्रामक नजर आएंगे। हेमंत सोरेन यह मानकर चल रहे हैं कि जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद जनता उन्हें एक विजेता के रूप में देख रही है इसलिए इसका फायदा उनकी पार्टी को निश्चित रूप से आगामी विधानसभा चुनावों में मिलेगा। पांच माह की जेल यात्रा के दौरान जनता के बीच अपने लिए पनपी सहानुभूति को देखते हुए हेमंत सोरेन आगामी विधानसभा चुनावों  में इंडिया गठबंधन से अपनी पार्टी के लिए पहले से अधिक सीटों की मांग भी कर सकते हैं। उधर भाजपा का यह मानना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार  गत पांच सालों में जनता से किए गए वादों को पूरा करने में बुरी तरह नाकामयाब रही है। हेमंत सोरेन अब जब जनता के बीच जाएंगे तब जनता पहले उन्हें उनके झूठे वादों की याद दिलाएगी। भाजपा  यह भी मानती है कि चम्पई सोरेन के मुख्यमंत्री बन जाने के बाद राज्य में सत्ता के दो केंद्र बन गए हैं। इससे पार्टी में वर्चस्व की लड़ाई और तेज होगी जिसका फायदा भाजपा को मिलेगा। भाजपा को पूरा भरोसा है कि झारखंड की जनता बदलाव चाहती है और आगामी विधानसभा इसी बदलाव का संदेश लेकर आ रहे हैं।



नोट - लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।




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