कोच्चि : शुक्रवार, जुलाई 12, 2024/ केरल उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किसी महिला के साथ रह रहे लिव-इन पाटर्नर जो कानूनी रूप से विवाहित नहीं है, उस पर क्रूरता के अपराध के लिए भारतीय दण्ड
संहिता की धारा 498 ए के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। न्यायालय ने शिकायतकर्ता महिला के लिव-इन पार्टनर और याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्यवाही रद्द करने के बाद यह फैसला सुनाया। आईपीसी की धारा 498ए उन मामलों में लगाई जाती है, जब किसी महिला के साथ उसका पति या ससुराल वाले क्रूरता करते हैं। याचिकाकर्ता पर आरोप था कि उसने मार्च 2023 से अगस्त 2023 तक लिव-इन मे रहने के दौरान शिकायतकर्ता महिला को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया था।
0 comments:
Post a Comment