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डॉक्यूमेंट्री फिल्में एक विशाल उद्योग का हिस्सा हैं : संजय जाजू

 मुंबई : शनिवार, जून 15, 2024/ कल लघु फिल्मों, डॉक्युमेंट्री और एनिमेशन फिल्मों के लिए मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (एमआईएफएफ) के 18वें संस्करण के भव्य उद्घाटन के लिए उत्सुकता बढ़ रही है। यह एक सिनेमाई उत्सव की शुरुआत है, जो दर्शकों और उद्योग के पेशेवरों को समान रूप से आकर्षित करने का वादा करता है।

प्रतिभागियों के लिए उपलब्ध समृद्ध अनुभव की झलक पेश करते हुए तथा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में महोत्सव के सिनेमाई खजाने का अनावरण करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू ने कहा कि इस तरह के उत्सवों के आयोजन का पूरा उद्देश्य केवल सिनेमा को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि समसामयिक और सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर विचार करना तथा नीति निर्माताओं को समाधान की दिशा में मार्गदर्शन करना है।


डॉक्यूमेंट्री और लघु फिल्मों के बढ़ते बाजार की ओर इशारा करते हुए संजय जाजू ने कहा कि डॉक्यूमेंट्री फिल्म एक बहुत बड़ा उद्योग है, जिसकी वैश्विक स्तर पर 16 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कीमत है। यह सूचना देने, प्रेरित करने, आत्मनिरीक्षण करने और मनोरंजन करने की इस शैली की शक्ति को दर्शाता है। उन्होंने कहा, "वृत्तचित्रों के अलावा हमारे पास एक बहुत ही जीवंत और गतिशील वीएफएक्स खंड है, जिसमें एनिमेशन खंड भी शामिल है। यह एक बड़ा उद्योग है, जो हमारे देश में बहुत अधिक आर्थिक और रोजगार को बढ़ाने वाला है। हमें खुशी है कि यह खंड इस वर्ष एमआईएफएफ का हिस्सा है।"


एनिमेशन और वीएफएक्स उद्योग में हमारे देश द्वारा की गई प्रगति पर प्रकाश डालते हुए, सचिव ने यह भी कहा कि छोटा भीम और चाचा चौधरी जैसे भारतीय वीएफएक्स पात्र विश्व प्रसिद्ध हो गए हैं और वे साबित करते हैं कि भारतीय कहानियों में सार्वभौमिक रूप से गूंजने की शक्ति है। उन्होंने जोर देकर कहा, "पूरा उद्देश्य एनिमेशन क्षेत्र में हमारे देश के भीतर बौद्धिक संपदा का निर्माण करना है, जिसे दूर-दूर तक फैलाना चाहिए। यह हमारे कई रचनाकारों के लिए ऐसे विचारों के साथ आने का अवसर है जो दुनिया की कल्पना को ग्रहण करेंगे।

 

संजय जाजू ने घोषणा करते हुए कहा कि अगले सप्ताह एमआईएफएफ में 59 देशों की 61 भाषाओं में 314 फिल्में, 8 विश्व प्रीमियर, 5 अंतर्राष्ट्रीय प्रीमियर, 18 एशिया प्रीमियर और 21 भारत प्रीमियर होंगे। साठ देश अपनी फिल्मों और अन्य प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से भाग ले रहे हैं।


जहां श्रीलंका सरकार उद्घाटन समारोह में अपनी सांस्कृतिक विरासत को सामने लाने वाला प्रदर्शन कर रही है, वहीं अर्जेंटीना सरकार समापन समारोह में अपने देश की प्रतिभाओं का प्रदर्शन कर रही है। उन्होंने बताया, “एमआईएफएफ केवल भारत के बारे में नहीं है। यह दुनिया के बारे में है। यह दुनिया भर के फिल्म निर्माताओं को अवसर प्रदान करता है।”


एमआईएफएफ में कुछ नई पहलों की घोषणा करते हुए, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव ने कहा कि इस वर्ष का महोत्सव पहली बार डॉक फिल्म बाजार की शुरुआत कर रहा है, जो स्वतंत्र फिल्म निर्माताओं के लिए अपनी परियोजनाओं के लिए खरीदार, प्रायोजक और सहयोगी खोजने के लिए एक समर्पित बाजार है।


पहली बार, एमआईएफएफ ने डेनिएला वोल्कर द्वारा निर्देशित मिडफेस्ट फिल्म, "द कमांडेंट्स शैडो" का चयन किया है, जो इस उत्सव की पेशकशों में एक नया आयाम जोड़ता है। समावेशिता व सुलभता को और अधिक प्रोत्साहन देने की दिशा में उन्होंने कहा कि एमआईएफएफ 2024 अपने स्थलों को सभी के लिए पूरी तरह सुलभ बना रहा है और स्वयं एनजीओ के साथ साझेदारी में दिव्यांगजनों के लिए विशेष फिल्में भी प्रदर्शित कर रहा है। पहली बार, एमआईएफएफ स्क्रीनिंग और रेड कार्पेट कार्यक्रम पांच शहरों: मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, पुणे और दिल्ली में एक साथ होंगे, जहां दर्शक समानांतर स्क्रीनिंग का आनंद ले सकते हैं। इससे विश्वस्तरीय सिनेमा का जादू भारत भर के फिल्म प्रेमियों के करीब आ जाएगा।


भावी फिल्म निर्माताओं को प्रोत्साहित करने के लिए मंत्रालय के प्रयासों का विवरण देते हुए सचिव ने कहा कि इस वर्ष यह उत्सव एफटीआईआई, एसआरएफटीआई और आईआईएमसी जैसे प्रमुख फिल्म संस्थानों के छात्रों को आमंत्रित करके एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ा रहा है। इससे उन्हें उत्सव में खुद को मगन करने और इस उद्योग की अग्रणी हस्तियों व नेटवर्क से सीखने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा, “यह महोत्सव नवोदित फिल्म निर्माताओं को एक-दूसरे से और उस्तादों, विशेषज्ञों व दिग्गजों के साथ-साथ उन लोगों से सीखने का अवसर देता है, जिन्होंने पहले ही अपनी पहचान बना ली है। साथ ही, पूरा विचार भविष्य के लिए चैंपियन तैयार करना और उन्हें बड़ा बनने का अवसर प्रदान करना है।”


संजय जाजू ने यह भी कहा कि उद्घाटन समारोह में एफटीआईआई के छात्रों की लघु फिल्म “सनफ्लावर वर द फर्स्ट ओन्स टू नो” दिखाई जाएगी, जिसने इस साल 77वें कान फिल्म महोत्सव में पुरस्कार जीते थे। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की सॉफ्ट पावर में वृद्धि एक वास्तविकता है और इसे इन कल्पनाशील रचनाकारों द्वारा बढ़ावा मिलेगा, जो अगले सप्ताह एमआईएफएफ का हिस्सा बनने जा रहे हैं। उन्होंने बताया, “हम एक विशाल, विविध देश हैं, जिसमें बड़ी संख्या में भाषाएं हैं और इन सभी भाषाओं में रचनाकार हैं। सोशल मीडिया के युग में, ऐसे बहुत से रचनाकार हैं, जो सिनेमा स्कूल भी नहीं गए हैं। लेकिन उनके पास एक बड़ा प्रभावशाली नेटवर्क है और वे जो कंटेंट का सृजन करते हैं उसमें संभावनाएं हैं। ऐसे सभी लोगों को अवसर मिलेगा। स्वतंत्र फिल्म निर्माताओं को बढ़ावा देने के लिए बहुत सी सरकारी योजनाएं हैं।”


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