सेहतगंज फैक्ट्री में पिछले दिनों बाल आयोग की कार्रवाई के दौरान 59 में से 42 बच्चों के नाबालिग होने की पुष्टि हुई थी, लेकिन ये पूरा सच नहीं है। दरअसल, वहां डेढ़ सौ बच्चे काम करते हैं। बाल आयोग ने जिस दिन फैक्ट्री में रेस्क्यू किया, उस दिन फैक्ट्री में काम कम था, इसलिए पूरे मजदूर नहीं आए थे। फैक्ट्री में रोजाना करीब 400-500 लोग काम करते हैं, जिसमें डेढ़ सौ के आसपास बच्चे होते हैं।
शराब फैक्ट्री से लगा सेहतगंज गांव मूलत: मजदूरों की आबादी वाला गांव है। यहां करीब 400 परिवार रहते हैं और ज्यादातर मजदूरी ही करते हैं। यहां से महिला व बच्चे सहित रोजाना 200 से 250 लोग शराब फैक्ट्री में काम करने जाते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि सेहतगंज से ही सौ बच्चे फैक्ट्री में काम करने जाते हैं। दूसरे गांव से भी बच्चों को काम पर लाया जाता है। फैक्ट्री के पास ही शराब कंपनी ने सोम नाम से एक स्कूल खोल रखा है, जिसकी बस का इस्तेमाल बच्चों को फैक्ट्री लाने के लिए किया जाता है। यह बात तो बच्चों ने सीडब्ल्यूसी के समक्ष दिए बयान में भी स्वीकारी है।
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