दुनिया की प्राचीनतम बसाहटों में से एक उज्जैन नगर में शोध अध्येताओं के एक दल को बड़ी सफलता मिली है। अध्येताओं को यहां शिप्रा नदी की परिक्रमा यात्रा के दौरान राजा विक्रमादित्य की आराध्य देवी मां गढ़कालिका के मंदिर क्षेत्र में 2600 वर्ष पुराने एनबीपी पात्र, लाल पात्र, ताटन चक्र, कई टेराकोटा बिट तथा अनाज कूटने का प्रस्तर प्राप्त हुए हैं। पुरातात्विक सर्वेक्षण के दौरान मिले इन पुरा अवशेषों को संग्रहालय में संरक्षित कर रखा जाएगा तथा सर्वेक्षण रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजी जाएगी।
विक्रम विश्वविद्यालय के पुराविद् डा. रमण सोलंकी ने बताया कि 15 जून को प्रारंभ हुई शिप्रा परिक्रमा यात्रा में परंपरा अनुसार इस बार भी पुरातात्विक अन्वेषकों का दल शामिल था। इसमें भारतीय पुरातत्व विभाग नई दिल्ली के पुरातत्ववेत्ता डा. नारायण व्यास, डा. प्रशांत पुराणिक, डा. अजय शर्मा, डा. मंजू यादव, डा.राजेश मीण, तिलकराज सिंह सोलंकी तथा शांभवी मौजूद थे।
0 comments:
Post a Comment