....

सीहोर में 250 से ज्यादा गांव सूखे

 

प्रदेश इन दिनों भीषण गर्मी की चपेट में है। कई शहरों में पारा 45 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है। चिलचिलाती गर्मी के बीच कई इलाकों में जलसंकट भी गहरा गया है। भोपाल अंचल में सीहोर, विदिशा, बैतूल, रायसेन समेत आसपास के जिलों में पिछले कुछ दिनों से पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था गड़बड़ाई हुई है। पानी के लिए लोग सड़कों पर उतरकर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में हालात और भी बदतर हैं।


जिले के 250 से अधिक गांव भीषण जलसंकट से जूझ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को सुबह से शाम तक पानी के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। हालत यह है कि हर साल जलसंकट से निपटने कार्ययोजना बनाकर कराड़ों रुपये का प्रस्ताव भी बनता है, लेकिन जलसंकट दूर होने का नाम नहीं लेता है। पिछले साल गर्मी के मौसम में ज्यादा पानी समस्या वाले करीब 100 से ज्यादा गांव में निजी ट्यूबवेल अधिग्रहण कर लोगों को पानी उपलब्ध कराया था, लेकिन इस बार कोई कदम नहीं उठाया है। इसके चलते ग्रामीण इलाकों में लोग कई किलोमीटर दूर से पानी लाने को मजबूर हैं।

सीहोर जिला मुख्यालय से तीन किमी दूर स्थित ग्राम जमोनिया टेंक में 80 लाख 36 हजार रुपए खर्च कर पानी की टंकी बनाने के साथ ही 250 घरों में नल कनेक्शन दिए गए थे और तीन माह टेस्टिंग के बाद नलजल योजना को पंचायत के हवाले कर दिया गया, लेकिन घटिया निर्माण और पंचायत की अनदेखी से लोगों के घरों में जनवरी माह से पानी नहीं पहुंच रहा है, जिससे ग्राम जमोनिया टेंक के लोग भीषण जलसंकट से जूझ रहे हैं। करोड़ों रुपये की लागत से जिले भर में जल जीवन मिशन योजना के काम चल रहे हैं। हर घर नल से जल योजना का उददेश्य, लेकिन हाल फिलहाल तो सार्थक होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। अब जब गर्मी अपने पूरे शबाब पर है और प्राकृतिक जल स्रोत तेजी से दम तोड़ रहे हैं। गांव-गांव घरों तक नलों के माध्यम से पानी पहुंचाने की महत्वकांक्षी योजना जल जीवन मिशन इस गर्मी में विफल साबित हो रही है और बूंद बूंद पानी के लिए भी गांव में जद्दोजहद चल रही है। अब ग्रामीणों की स्थिति यह है कि फिर से कुओं और हैंडपंपों से पानी भरने के लिए विवश हो रहे हैं।

Share on Google Plus

click vishvas shukla

    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment