....

Navratri Kalash Sthapana: कलश स्थापना करते समय जरूर करें ये एक काम, प्राप्त होगा कई गुना फल

 

Chaitra Navratri 2024 Kalash Sthapana: सनातन पंचांग के अनुसार, चैत्र नवरात्र 9 अप्रैल से शुरू होंगे। इस दिन दो शुभ मुहूर्त में घट स्थापना की जाएगी। ज्योतिषियों के अनुसार, पहला शुभ समय ब्रह्म बेला में 06:02 बजे से 10:16 बजे तक है। इसके बाद घटस्थापना का शुभ समय सुबह 11:57 बजे से दोपहर 12:48 बजे तक है। इन दो शुभ मुहूर्त में आप कलश स्थापित कर मां दुर्गा की पूजा कर सकते हैं।


 

चैत्र नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। शैलपुत्री मां पार्वती का ही रूप मानी जाती हैं। इनकी पूजा करने से संकटों से छुटकारा मिलता है। मां शैलपुत्री का आशीर्वाद पाने के लिए मां शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा करें। पूजा के दौरान इन खास मंत्रों का जाप भी करें।


मां दुर्गा के मंत्र

1. ॐ ह्रींग डुंग दुर्गायै नमः

2. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै

3. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

4. मां दुर्गा का आह्वान मंत्र

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

5. भय दूर करने हेतु मंत्र

सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्तिमन्विते ।

भये भ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमो स्तुते ॥

6. पाप नाशक मंत्र

हिनस्ति दैत्येजंसि स्वनेनापूर्य या जगत् ।

सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्यो नः सुतानिव ॥

7. संकट से रक्षा हेतु मंत्र

शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे ।

सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमो स्तुते ॥

8. रोग नाशक मंत्र

जयन्ती मड्गला काली भद्रकाली कपालिनी ।

दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमो स्तुते ॥

9. बल प्राप्ति हेतु मंत्र

सृष्टि स्तिथि विनाशानां शक्तिभूते सनातनि ।

गुणाश्रेय गुणमये नारायणि नमो स्तुते ॥

10. धन प्राप्ति हेतु मंत्र

“दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:

स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।

दारिद्र्यदु:खभयहारिणि का त्वदन्या

सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽ‌र्द्रचित्ता॥”

11. रक्षा पाने हेतु मंत्र

शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।

घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च॥

12. सौभाग्य प्राप्ति हेतु दुर्गा मंत्र

देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।

रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

13. भक्ति प्राप्ति हेतु मंत्र

नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे |

रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ||

14. सामूहिक कल्याण हेतु वंदना

देव्या यया ततमिदं जग्दात्मशक्त्या निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या |

तामम्बिकामखिलदेव महर्षिपूज्यां भक्त्या नताः स्म विदधातु शुभानि सा नः ||

15. बीज मंत्र

ह्रीं शिवायै नम:

वन्दे वंछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम् |

वृषारूढाम् शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ||

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्ये नम:’

ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:

ऐं श्रीं शक्तयै नम:

ऐं ह्री देव्यै नम:

ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:

क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:

क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:

श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:

ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:

Share on Google Plus

click News India Host

    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment