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MP News: सीएम मोहन यादव बोले 'ऐसा नहीं चलेगा...', किसानों से गाली-गलौच करने वाले जावरा SDM को हटाया


Mohan Yadav Action: मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के जावरा में पदस्थ डिप्टी कलेक्टर अनिल भाना को मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने किसानों के साथ दुर्व्यवहार करने के मामले में हटाकर मुख्यालय अटैच कर दिया है. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने स्पष्ट रूप से कहा है कि किसान और आम लोगों के साथ दुर्व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. पहले भी मुख्यमंत्री दुर्व्यवहार करने के मामले में एसडीएम से लेकर कलेक्टर तक को हटा चुके हैं.



मोबाइल में रिकॉर्ड हुआ था पूरा मामला


रतलाम-नीमच रेल दोहरीकरण का कार्य चल रहा है. इस दोहरीकरण योजना पर सरकार 1050 करोड़ से ज्यादा खर्च कर रही है. इसके अलावा रतलाम और नीमच के बीच रेलवे के गुड्स यार्ड भी बना रहे हैं. इसे लेकर किसानों की जमीन को अधिग्रहण किया गया है. दो दिन पहले जावरा के समय ग्राम बड़ायली चौरासी में किसान और एसडीएम अनिल भाना के बीच जमकर हुई थी. इस दौरान डिप्टी कलेक्टर अनिल भाना द्वारा किसानों के साथ गाली गलौज करते हुए वीडियो मोबाइल में रिकॉर्ड हो गए थे. जब यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो किसानों ने डिप्टी कलेक्टर को हटाने की मांग कर डाली. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने एसडीएम अनिल भाना को जिला मुख्यालय अटैच करते हुए यह संदेश दिया है कि आम लोगों से किसी प्रकार का दुर्व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.


गौरतलब है कि पहले मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव शाजापुर कलेक्टर किशोर कन्याल को भी वाहन चालक के साथ अभद्र भाषा में बातचीत करते के मामले में हटा चुके हैं. इसी तरह पूर्व में प्रदेश के कुछ डिप्टी कलेक्टरों को भी हटाया जा चुका है. 


एसडीएम ने दी सफाई


एसडीएम अनिल भाना एबीपी न्यूज़ से चर्चा के दौरान कहा कि उनके द्वारा किसी प्रकार से अभद्र भाषा का इस्तेमाल नहीं किया गया था. जब गांव में जमीन का कब्जा लेने के लिए रेलवे विभाग के अधिकारियों के साथ जिला प्रशासन का दल पहुंचा तो कुछ किसानों ने अशोभनीय भाषा का इस्तेमाल करते हुए शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाने की कोशिश की. कुछ किसानों के द्वारा लगातार अभद्र भाषा में प्रशासन को गाली गलौज की जा रही थी. इसी का विरोध करने के दौरान विवाद बढ़ गया. उन्होंने कहा कि गांव के लोगों द्वारा पूर्व में भी फोरलेन के निर्माण के दौरान भी चक्का जाम किया गया था. उन्होंने कहा कि वे चाहते तो शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाने का मुकदमा भी दर्ज करवा सकते थे मगर जो विवाद हुआ उसे वहीं शांत कर दिया गया था. 

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