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Wipro Acquires Soap Brands: विप्रो के हुए ये तीन साबुन ब्रांड, एक साल में कंपनी ने किया तीसरा अधिग्रहण



 विप्रो कंज्यूमर केयर ने तीन साबुन ब्रांड का अधिग्रहण कर लिया है. अब जो (Jo), डॉय (Doy) और बेक्टर शील्ड (Bacter Shield) कंपनी के पोर्टफोलियो में शामिल हो गए हैं. अजीम प्रेमजी  के नेतृत्व वाली कंपनी का यह इस साल तीसरा और कुल 15वां अधिग्रहण है. यह तीनों ब्रांड मुंबई की कंपनी वीवीएफ इंडिया के थे. कंपनी ने इस सौदे की घोषणा करते हुए कीमत का खुलासा नहीं किया. 



210 करोड़ का किया बिजनेस 


विप्रो इंडिया के चीफ एग्जीक्यूटिव नीरज खत्री ने बताया कि अगले 4 महीने में यह सौदा पूरा हो जाएगा. इन तीनों ब्रांडों ने पिछले वित्त वर्ष में 210 करोड़ रुपये का बिजनेस किया था. यह अगले तीन साल में बढ़कर दोगुना हो सकता है. वीवीएफ को साबुन, शैम्पू, कंडीशनर्स, हैंड सैनीटाईजर और स्किन मॉइस्चराईजर्स बनाने के लिए जाना जाता है.


एक साल में कंपनी का तीसरा अधिग्रहण 


यह पिछले 10 साल में विप्रो का 15वां अधिग्रहण है. पिछले एक साल में कंपनी तीन अधिग्रहण कर चुकी है. कंपनी ने पिछले साल दिसंबर में केरल की नमकीन, मसाला और रेडी टू कुक फ़ूड बनने वाली कंपनियों निरापारा और ब्राहमिंस को खरीदा था. कंपनी ने बताया कि वह अब तक विभिन्न कंपनियों को खरीदने में 1 बिलियन डॉलर खर्च कर चुकी है. उपभोक्ता उत्पाद बनाने वाली कंपनी विप्रो की टॉयलेट सोप सेगमेंट में बाजार हिस्सेदारी 11 फीसदी है. कंपनी ने कहा कि इन तीन ब्रांड के उसके पोर्टफोलियो में जुड़ने से हिस्सेदारी और मजबूत होगी. साथ ही प्रीमियम और सब प्रीमियम केटेगरी में उसकी पकड़ मजबूत होगी. 


अलग-अलग सेगमेंट के हैं तीनों प्रोडक्ट 


उत्तर, पूर्व और पश्चिम भारत के बाजारों में जो साबुन की अच्छी पकड़ है. डॉय को प्रीमियम सेगमेंट में गिना जाता है. साथ ही बेक्टर शील्ड हैंडवाश और एंटीबैक्टेरिया सेगमेंट में अच्छा कर रहा है. यह तीनों ब्रांड भारत के अलावा नेपाल, भूटान, श्रीलंका, बांग्लादेश और मालदीव में बेचे जाएंगे. 



गांवों में मांग अभी भी मजबूत नहीं 


खत्री ने बताया कि गांवों में मांग अभी भी कोविड-19 से पहले की स्थिति में नहीं पहुंच पाई है. हालांकि हमें उम्मीद है कि इस वित्त वर्ष के अंत तक शहरी इलाकों में मांग जोर पकड़ लेगी. कंपनी के पोर्टफोलिओ में संतूर, ग्लूकोवीटा, चंद्रिका, उंजा जैसे प्रोडक्ट शामिल हैं. कंपनी ने पिछले वित्त वर्ष में 10 हजार करोड़ बिक्री का आंकड़ा पार किया था.

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