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मुआवजा नहीं मिलने से किसान परेशान, राष्ट्रपति से मांगी सामूहिक आत्मदाह की अनुमति


मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के ग्राम दोईफोडिया क्षेत्र में उतावली नदी पर डैम का निर्माण प्रस्तावित है. इसको लेकर जल संसाधन विभाग के इंजीनियर ने उतावली नदी का दौरा किया. मौके पर पहुंचे इंजीनियर और संबंधित अधिकारियों का किसानों ने विरोध करना शुरू कर दिया. किसानों ने अधिकारियों से पूछा कि उन्हें उनकी जमीन के लिए कितनी मुआवज राशि मिलेगी, मुआवज राशि पता चलने के बाद ही अपनी जमीन पर काम करने देंगे. किसानों के भारी विरोध और नारेबाजी को देख इंजीनियर वापस लौट गए.



किसानों ने मीटिंग करके राष्ट्रपति से सामूहिक आत्मदाह करने की अनुमति देने के लिए आज आवेदन दिया है. बुरहानपुर जिले के ग्राम दोईफोडिया के आसपास के करीब डेढ़ हजार किसानों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर आत्मदाह की अनुमति मांगी है. दरअसल गांव में डेम का निर्माण होना प्रस्तावित है. जिसे लेकर अधिकारी मौका मुआयना करने ग्राम पहुंचे. जहां किसानों ने विरोध करते हुए मांग की कि जब तक हमारी जमीन का उचित दाम नहीं मिलता, तब तक हम डैम का निर्माण नहीं होने देंगे. किसानों ने चेतावनी देते हुए कहा कि उनकी जमीनों पर जबरदस्ती निर्माण काम शुरू किया गया तो किसान आत्मदाह करेंगे, इसके लिए प्रशासन जिम्मेदार होगा.


मुआवजे के लिए किसानों ने की जल संसाधन मंत्री से मुलाकात


इससे पहले किसान 15 दिन पहले मुआवज राशि बढ़ाने के लिए खंडवा सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल के नेतृत्व में मध्य प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट से मुलाकात की थी. किसानों ने जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट से मांग की उनकी जमीनों के लिए 28 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवज राशि दी जाए. इसके लिए किसानों ने कलेक्टर कार्यालय में भी दो से तीन बार आंदोलन किया. किसान डैम की निर्माण के बाद डूब में जाने वाली जमीन की मुआवज राशि बढ़ाने के लिए लगातार स्थानीय प्रशासन और नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं. हालांकि जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने किसानों को मुआवज राशि 19 लाख से बढ़कर 21 लाख रुपये करने का आश्वासन दे चुके हैं. 


किसानों ने दी आंदोलन की चेतावनी


इस संबंध में किसान रवि पटेल ने कहा कि हम किसानों ने ग्राम सभा में मीटिंग कर में निर्णय लिया, जिसकी एक लिखित कॉपी जल संसाधन मंत्री को भी दी गई है. इसमें कहा गया है कि मुआवजा राशि के तय हुए बगैर बांध का कार्य आरंभ नहीं होना चाहिए, अगर ऐसा कुछ होता है तो पांगरी प्रकल्प समेत समस्त जिले के बांध प्रभावित किसान तीव्र एवं उग्र आंदोलन करेंगे. इसकी समस्त जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी. किसानों के मुताबिक, 6 महीने हो गए डूब में जा रही जमीनों का उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है. उतावील नदी पर प्रस्तावित डैम के निर्माण से नागझिरी, बसाली और पांगरी के कई किसानों की जमीन डूब में जा रही है. किसान के मुताबिक, उन्हें उनकी जमीन का मुआवजा कम दिया जा रहा है. 



उचित मुआवजा नहीं मिलने से किसानों में आक्रोश है. किसानों का कहना है कि अन्य क्षेत्र के जमीन के भाव ज्यादा हैं. वहां की तरह यहां भी किसानों को जमीन का उचित भाव दिया जाना चाहिए, लेकिन इस ओर कोई भी जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहा है. इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है. किसानों ने कहा डैम बनाया जाना अच्छी बात है, लेकिन हमें हमारी जमीन का उचित दाम मिलना चाहिए. किसानों ने अपनी परेशानियों का इजहार करते हुए कहा कि "उन्हें जमीन का मुआवजा काफी कम दिया जा रहा है, ऐसे में हम अपनी जमीन खोकर जीवन यापन कैसे कर पाएंगे.


'प्रशासन कर रहा मनमाने तरीके से काम'


किसानों ने आरोप लगाया है कि यहां जो भी अधिकारी आते हैं, वह गुप्त रूप से काम करके चला जाते हैं. किसानों को कोई जानकारी नहीं दी जाती है, कोई मुआवजे को लेकर बात तक नहीं करता. विरोध करने वाले किसानों ने बताया कि डैम निर्माण को लेकर किसी भी ग्राम सभा में कोई मीटिंग नहीं की गई और न ही इस संबंध में कोई बैठक बुलाई गई. शासन प्रशासन मनमाने तरीके से अपना काम कर रहा है. इसलिए किसान भी इसका समय-समय पर विरोध कर रहे हैं, हमें हर हाल में अपने जमीन का मुआवजा चाहिए. इसके लिए हमने पहले भी बैठक एवं शिकायतें की है, अब यदि प्रशासन नहीं माना तो आंदोलन कर सकते हैं.

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