दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आधी रात को शुरू हुआ सियासी ड्रामा बुधवार सुबह तक जारी रहा। पश्चिम बंगाल के लिए मनरेगा फंड जारी करने की मांग को लेकर टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में पार्टी विधायक और सांसद कृषि भवन के बाहर धरना दे रहे थे।
आधी रात को पुलिस ने उन्हें खदेड़ने की कोशिश की। विरोध करने पर अभिषेक बनर्जी समेत कई नेताओं को हिरासत में ले लिया गया और बुधवार तड़के रिहा किया गया। इसके बाद से टीएमसी नेता हमलावर हैं।
कुछ घंटों की हिरासत के बाद जब रिहा किया गया तो अभिषेक बनर्जी मीडिया के सामने आए और केंद्र सरकार पर हमला बोला। अभिषेक बनर्जी ने कहा कि यह 'भारतीय लोकतंत्र के लिए काला दिन' है।
“जो लोग बंगाल के लोगों के लिए लड़ रहे हैं, उन्हें 3 घंटे तक इंतजार कराया गया। मंत्री भाग गए। हम वहां शांति से बैठे थे, लेकिन अचानक सुरक्षाकर्मियों ने महिलाओं सहित हम सभी के साथ दुर्व्यवहार किया।”
टीएमसी महासचिव ने कहा, 'जिस तरह से हमें घसीटा गया और अपमानित किया गया, वह आज लोकतंत्र के लिए काला दिन है। तस्वीरें झूठ नहीं बोलतीं। जिस तरह से हमारे सांसदों को परेशान किया गया, वह सबके सामने है।'
मनरेगा फंड विवाद, जानिए अब आगे क्या होगा
अभिषेक बनर्जी यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे पार्टी सदस्यों के साथ दुर्व्यवहार किया। अब पार्टीा ने 5 अक्टूबर को कोलकाता में 'राजभवन चलो' मार्च का आह्वान किया है।
टीएमसी नेता क्यों दे रहे थे धरना
अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में पार्टी के वरिष्ठ नेता, सांसद और विधायक सोमवार से दिल्ली में हैं। उन्होंने मनरेगा फंड जारी करने की मांग को लेकर गांधी जयंती पर राजघाट पर धरना शुरू किया था।
मंगलवार को टीएमसी प्रतिनिधिमंडल ने जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया और बाद में कृषि भवन स्थित ग्रामीण विकास मंत्रालय तक मार्च किया। उनकी राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति से मुलाकात का कार्यक्रम तय था। टीएमसी के मुताबिक, डेढ़ घंटे के इंतजार के बाद केंद्रीय मंत्री ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया।
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