उज्जैन । धर्मपुराण व खगोल विज्ञान का प्राचीन केंद्र रहे कर्कराज मंदिर की हालत इन दिनों काफी खराब है। करीब 20 दिन से मंदिर का ताला नहीं खुला है। भक्त दर्शन के लिए परेशान हैं। शिप्रा नदी में आई बाढ़ के बाद से मंदिर की सफाई नहीं हुई है। गाद व गंदगी से मंदिर सराबोर है। ऐसे में पुजारी भी मंदिर तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।
कालगणना का प्रमुख केंद्र
कर्कराज मंदिर कालगणना का प्रमुख केंद्र रहा है। इसी स्थान से कर्क रेखा होकर गुजरती थी। मान्यता है सम्राट विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक कालगणक आचार्य वराहमिहिर ने यहां अपनी वेधशाला स्थापित कर रखी थी। कालांतर में भी यह स्थान गणना का प्रमुख केंद्र रहा है।
पंचकोसी यात्रा का प्रमुख पड़ाव स्थल
शिप्रा के तट पर स्थित श्री कर्कराजेश्वर का मंदिर पंचकोसी यात्रा का प्रमुख पड़ाव स्थल भी है। यात्रा संपन्न होने के बाद यात्री शिप्रा के इसी घाट पर स्नान व विश्राम करते है, यहीं से अष्टाविंशती यात्रा का शुभारंभ भी होता है। धर्म व समय के इतने महत्वपूर्ण केंद्र की इस प्रकार दुर्दशा हाेने से भक्त नाराज हैं।
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