भोपाल : 1 सितंबर | मध्य प्रदेश ने महिला सशक्तीकरण का अनूठा उदाहरण पेश किया है। प्रदेश के तीन टोल नाकों की जिम्मेदारी महिला स्वसहायता समूहों को दी गई है। इनमें आगर मालवा का चाचाखेड़ी, उज्जैन का कायथा और छतरपुर का संजय नगर टोल प्लाजा शामिल है। टोल नाके में शुल्क से मिलने वाली राशि का 30 प्रतिशत महिलाओं के समूह को मिलेगा।
शनिवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित समत्व भवन में मप्र सड़क विकास निगम और स्वसहायता समूहों के बीच एमओयू किया गया।इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि महिला सशक्तीकरण का यह बड़ा उदाहरण है। कैबिनेट बैठक में हाल ही में निर्णय लिया गया था कि दो करोड़ रुपये तक संग्रहण वाले टोल प्लाजा का प्रबंधन महिला स्वसहायता समूहों को दिया जाएगा, ताकि उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत किया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि टोल प्लाजा चलाना हिम्मत और दबंगई का काम समझा जाता है। प्रदेश में महिलाओं के स्व-सहायता समूह टोल प्लाजा संचालन की जिम्मेदारी ले रहे हैं, यही महिला सशक्तीकरण है। दुनिया देखेगी कि मध्य प्रदेश की महिलाएं, पुरुषों के वर्चस्व वाले इस कार्य में भी नई उपलब्धियां अर्जित करेंगी।
छतरपुर के गढ़ीमलहरा से चंदला मार्ग के संजयनगर स्व-सहायता समूह की महिलाओं को सौंपा गया। संजय नगर टोल प्लाजा पर आयोजित कार्यक्रम में समूहों की बहनों को टोल प्लाजा की कमान मिली।
जिस बूथ की कमान सौंपी गई है उस बूथ पर केवल व्यावसायिक वाहनों से शुल्क लिया जाता है जिससे प्रतिदिवस औसतन 20 हजार की आय होती है। संचालन में 15 महिलाएं काम करेंगी। जिन्हें प्लाजा से लगभग 10 से 12 हजार प्रतिमाह की आय सुनिश्चित हो सकेगी।
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