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संकष्ट चतुर्थी पर राहु-केतु का अशुभ प्रभाव, ये उपाय दूर करेंगे बाधाएं



संकट को हरने वाली चतुर्थी संकट चतुर्थी कहलाती है। संस्कृत में संकष्टी शब्द का अर्थ है कि कठिन परिस्थिति से बचना। अगर किसी भी प्रकार का दुख हो तो उससे छुटकारा पाने के लिए चतुर्थी का व्रत करना चाहिए और भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं। हालांकि इस वर्ष संकष्ट चतुर्थी पर पंचक का ग्रहण है। साथ ही राहु-केतु का प्रभाव भी संकष्ट चतुर्थी पर पड़ रहा है। ऐसे में 4 अगस्त को सुबह 5.44 मिनट से दोपहर 12.45 मिनट तक पूजा न करें।


राहु-केतु के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए क्या करें?

संकष्टी चतुर्थी के दिन ग्रहों के दोष और अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। गणपति बप्पा के मंत्र का निरंतर जाप करना चाहिए।


ग्रह दोष दूर करने के लिए क्या करना चाहिए?

संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश को प्रसन्न करने और ग्रह दोषों से मुक्ति पाने के लिए व्रत रखें। साथ ही 'ओम गं गणपतये नमः' का जाप करें। इससे सुख, समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।

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