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 हरियाली तीज पर माता पार्वती को चढ़ाएं ये चीजें, जानें शुभ मुहूर्त



हिंदू धर्म में सावन माह का विशेष महत्व है और इस दौरान कई महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार मनाए जाते हैं। हर साल सावन माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है। इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखती है और माता पार्वती की पूजा करती है।


कब है हरियाली तीज 


हिंदू पंचांग के अनुसार सावन शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि इस साल 19 अगस्त, शनिवार को है। इन दिन सुहागन महिलाएं हरियाली तीज का त्योहार मनाएंगी। पौराणिक मान्यता है कि हरियाली तीज का व्रत करने से पति की उम्र लंबी होती है। इस दिन कई महिलाएं निर्जला व्रत भी रखती है और पूरे सोलह श्रृंगार करने के बाद भगवान शिव व माता गौरी की पूजा करती है।


अच्छे पति के लिए व्रत रखती है कुंवारी कन्याएं


हरियाली तीज व्रत को सिर्फ विवाहित महिलाएं ही नहीं रखती है। ऐसी युवतियां भी इस व्रत को कर सकती है, जिनकी अभी शादी नहीं हुई है। पौराणिक मान्यता है कि हरियाली तीज व्रत करने से कुंवारी कन्याओं को अच्छे वर की प्राप्ति होती है।


हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त


हिंदू पंचांग के मुताबिक, इस साल हरियाली तीज 18 अगस्त की रात 8.1 मिनट से शुरू होगी और 19 अगस्त की रात 10.19 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के मुताबिक, हरियाली तीज 19 अगस्त 2023 दिन शनिवार को ही मनाई जाएगी। हरियाली तीज पर इस बार रवि योग भी निर्मित हो रहा है। पंचांग के अनुसार रवि योग 19 अगस्त की रात 1. 47 मिनट पर शुरू होगा, जो 20 अगस्त सुबह 5.53 मिनट तक रहेगा।


ऐसे करें हरियाली तीज की पूजा 


सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और हरे रंग के वस्त्र धारण करें।

पूजा घर को अच्छे से साफ-सुथरा कर लें।

पूजा घर में चौकी पर लाल वस्त्र रखकर माता पार्वती, भगवान शिव और गणेशजी की मूर्ति स्थापित करें।

चौकी के दाहिनी तरफ घी के दीपक जलाएं।


सभी देवताओं पर रोली और अक्षत का तिलक लगाएं।

भगवान शिव को धतूरा, चंदन और सफेद रंग के फूल अर्पित करें।

माता पार्वती को श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें।

भगवान भोलेनाथ और देवी पार्वती को भोग अर्पित लगाएं।

इसके बाद हरियाली तीज व्रत की कथा अच्छे से वाचन करें।

कथा समाप्ति के बाद आरती करके प्रसाद वितरण करें।


माता पार्वती को चढ़ाएं ये चीजें


पूजा के दौरान माता पार्वती का अच्छे से श्रृंगार करना चाहिए और पूजा के दौरान इन चीजों को जरूर चढ़ाना चाहिए।

हरे रंग की साड़ी और चुनरी

सिंदूर, बिंदी, चूड़ियां, माहौर

खोल, कुमकुम, कंघी

बिछुआ, दर्पण

मेहंदी, इत्र

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