दिल्ली, 07 जुलाई/ उच्चतम न्यायालय ने 1996 में दिल्ली के लाजपत नगर में बम हमला कर 13 लोगों की निर्मम हत्या और 38 लोगों को घायल करने के चार दोषियों को गुरुवार को बिना किसी छूट के उम्र कैद की सजा यानी अंतिम सांस लेने तक जेल में बिताने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने मोहम्मद नौशाद, मिर्जा निसार हुसैन, मोहम्मद अली भट्ट और जावेद अहमद खान को मृत्यु होने तक कारावास की सजा पर अपनी मुहर लगा दी। पीठ ने 190 पृष्ठों के अपने फैसले में कहा, “यह फैसला अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए लिया गया।” शीर्ष अदालत की तीन सदस्यीय इस पीठ ने कहा कि देश की राजधानी के एक प्रमुख बाजार पर हमला किया गया था, लेकिन मामले को राष्ट्रीय हित सहित आवश्यक तत्परता और ध्यान से नहीं निपटा गया।
शीर्ष अदालत ने फैसले में देरी होने पर नाराजगी व्यक्त की और इस तरीके के मामले को प्राथमिकता के आधार पर निपटाने पर भी जोड़ दिया। पीठ ने कहा , “बड़ी निराशा के साथ हम यह कहने को मजबूर हैं कि यह प्रभावशाली व्यक्तियों की संलिप्तता के कारण हो सकता है। यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि कई आरोपी व्यक्तियों में से केवल कुछ पर ही मुकदमा चलाया गया है। हमारे विचार में इस मामले को सभी स्तरों पर तत्परता और संवेदनशीलता के साथ विचार किया जाना चाहिए था।” राजधानी दिल्ली के व्यस्त बाजारों में से एक लाजपत नगर में 21 मई 1996 को बम विस्फोट में कम से कम 13 लोग मारे गए थे, जबकि लगभग 38 घायल हुए थे।
0 comments:
Post a Comment