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मानसून सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक आज, पीएम मोदी भी होंगे शामिल



केंद्र सरकार ने 20 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए आज सर्वदलीय बैठक बुलाई है। यह एक औपचारिक बैठक होगी जो संसद सत्र शुरू होने से एक दिन पहले होगी। इस बैठक में सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों समेत प्रधानमंत्री मोदी भी शिरकत करेंगे। 


संसद के मानसून सत्र से पहले सरकार ने बुधवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई, जिसमें कई मुद्दों पर विचार-विमर्श के साथ इसे सुचारू रूप से चलाने को लेकर चर्चा होगी। उल्लेखनीय है कि संसद का मानसून सत्र गुरुवार से शुरू होगा और 11 अगस्त तक चलेगा। तेईस दिनों तक चलने वाले इस सत्र में कुल 17 बैठकें होंगी। सर्वदलीय बैठक के दौरान सरकार संसद के दोनों सदनों के कामकाज को सुचारू रूप से सम्पन्न सुनिश्चित करने के लिए सभी दलों का समर्थन मांगेगी। इससे पहले संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सभी दलों से मानसून सत्र के दौरान विधायी कार्यों और अन्य विषयों पर सार्थक चर्चा में योगदान देने का आग्रह किया था। प्राप्त रिपोर्टों के मुताबिक 20 जुलाई (गुरुवार) से शुरू होने वाले मानसून सत्र में लगभग 32 विधेयक पेश किए जाने की उम्मीद है। इन विधेयकों में वन विधेयक और डेटा संरक्षण विधेयक भी शामिल हैं। गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने मंगलवार को 39 दलों के साथ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बैठक की। दूसरी ओर 26 दलों वाला विपक्ष ने बेंगलुरु में दो दिवसीय बैठक की।


पहले मंगलवार को होनी थी बैठक

बता दें कि पहले यह सर्वदलीय बैठक राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को बुलाई थी लेकिन अधिकतर पार्टियों के नेताओं की अनुपलब्धता के चलते यह बैठक टाल दी गई। इस साल कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं। विपक्ष जहां मंगलवार को बेंगलुरु में बैठक कर रहा है, वहीं एनडीए दिल्ली में बैठक कर रहा है। 



हंगामेदार रहेगा मानसून सत्र

मानसून सत्र के हंगामेदार होने का अनुमान है। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए विपक्ष सरकार के खिलाफ हमलावर रुख अपनाएगा। साथ ही महंगाई, मणिपुर संकट जैसे मुद्दों को लेकर भी विपक्ष, सरकार को निशाने पर ले सकता है। उल्लेखनीय है कि संसद का शीतकालीन सत्र भी हंगामे की भेंट चढ़ गया था।

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