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दुल्हन विदाई के समय क्यों फेंकती है अपने सिर के ऊपर से चावल, जाने इस रस्म की वजह

 



शादी सिर्फ एक लड़का-लड़की से संबंधित नहीं है, जो एक-दूसरे को जीवनसाथी के रूप में अपनाने के लिए तैयार होते हैं। बल्कि शादी पूरे परिवार और पीढ़ियों से चली आ रही परंपराओं और रीति-रिवाजों से भी जुड़ी होती है।

शादी में होने वाली हर एक चीज के पीछे लोगों की मान्यता, आस्था के अलावा वैज्ञानिक पहलू भी होते हैं। फिर वह चाहे हल्दी गाना हो, या अग्नि को साक्षी मानकर सात वचन लेने हो।

 ऐसे ही चावल फेंकने की रस्म भी होती है, जिसे दुल्हन विदाई के वक्त करती है। यह पल मायके वालों के लिए बहुत ही भावुक होता है। 

क्योंकि इसके बाद लड़की हमेशा के लिए अपने घर को छोड़ देती है। इस रस्म को दुल्हन कार (डोली) में बैठने से ठीक पहले करती है।

वैसे तो लगभग हर किसी ने हिन्दू शादियों में ऐसा जरूर होते देखा होगा। पर बहुत ही कम लोग ही चावल फेंकने की रस्म के पीछे की खास वजहों को जानते हैं। ऐसे में यदि आप भी इस रस्म के महत्व से अनजान हैं, तो इसे आप नीचे डिटेल में इसे जान सकते हैं।

चावल फेंकने की रस्म दुल्हन अपने विदाई के समय पर करती है, जब वह अपने मायके को छोड़कर अपने ससुराल के लिए बढ़ रही होती है। इस समय घर की एक महिला उसके सामने चावल का नया प्लेट सामने करती है, जिसमें से चावल को अपने दोनों हाथो से उठाकर दुल्हन को अपने सिर के ऊपर से पीछे की ओर फेंकना होता है।


ऐसा पांच बार बिना पीछे देखे करना होता है। इस दौरान लड़की की माँऔर अन्य महिलाएं अपने आंचल में फेंके गए चावल को नीचे गिरने से रोकती हैं। 

जिसे बाद में घर में संभालकर रख दिया जाता है।हिन्दू धर्म में लड़कियों को धन की देवी मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है। ऐसे में जब वह शादी होकर अपने मायके से विदा लेती है, तो वह चावल के रूप में अपनी दुआएं, धन-संपत्ति, समृद्धि अपने परिवार को देती हुए निकलती है। इसलिए इस चावल को अच्छे से स्टोर करके रखा जाता है।

इसके अलावा मायके को बुरी नजर से बचाने के लिए भी दुल्हन अपने सिर के ऊपर से चावल को फेंकती हैं। इस रस्म का एक मतलब यह भी है कि दुल्हन अपने परिवार को अब तक के प्यार,सम्मान और हर खुशियों के लिए आभार व्यक्त करती है जो उसे अपने परिवार से मिला है।

चावल भारतीय भोजन का एक प्रमुख हिस्सा है। अपने बुनियादी जीवन-निर्वाह गुणों के कारण चावल को शुभता, समृद्धि और उर्वरता का प्रतीक भी माना जाता है। ऐसा समझा जाता है कि यह नकारात्मकता को दूर रखता है, इसलिए शादी, पूजा-पाठ समेत सभी शुभ कार्यों में चावल को ही छींटा जाता है।
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