भोपाल। पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों के लिए प्रथम, द्वितीय व तृतीय भाषा के लिए इस सत्र से एक ही किताब होगी। अब विशिष्ट व सामान्य भाषा की अलग-अलग किताबें नहीं होंगी, बल्कि भाषा की एक ही किताब होगी। जैसे अंग्रेजी माध्यम वाले को द्वितीय भाषा के रूप में हिंदी सामान्य पढ़ना होता था और हिंदी माध्यम वाले को द्वितीय भाषा के रूप में अंग्रेजी सामान्य पढ़ना होता था। अब हिंदी या अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थी हो सभी को सिर्फ भाषा की एक ही किताब पढ़नी होगी। इस संबंध में राज्य शिक्षा केंद्र ने आदेश जारी कर दिए हैं। अब मप्र पाठ्यपुस्तक निगम को अंग्रेजी व हिंदी भाषा की एक -एक किताब ही प्रकाशित करनी होगी। इससे विद्यार्थियों का बोझ कम होगा। बता दें, कि यह बदलाव इसलिए किया गया है, क्योंकि माध्यमिक शिक्षा मंडल ने दो साल पहले दसवीं व बारहवीं में सामान्य व विशिष्ट भाषा की अनिवार्यता समाप्त कर दी थी। विशिष्ट एवं सामान्य भाषा में से विद्यार्थी कोई भी भाषा का चयन अपनी रूचि के अनुसार पढ़ाई कर सकता है।
सामाजिक विज्ञान में कुछ पाठ कम किए हैं
मप्र बोर्ड भाषा विषय को छोड़कर एनसीईआरटी की किताबों को संचालित करता है। इस बार एनसीईआरटी ने सामाजिक विज्ञान सहित अन्य विषय में कुछ चैप्टर और पाठ को कम किया है। इस सत्र में एनसीईआरटी ने छठवीं से आठवीं तक में सामाजिक विज्ञान में से कुछ पाठ कम किए हैं। इस सत्र में राज्य शिक्षा केंद्र अभी नए पाठ के साथ किताबें तैयार कर स्कूलों में वितरण नहीं किया गया है।
पिछले साल की किताबों को स्कूल मान्य नहीं कर रहे हैं
एनसीईआरटी ने कुछ पाठ़ को कम किए हैं। इस कारण पिछले सत्र की मप्र पाठ्यपुस्तक निगम द्वारा मुद्रित पाठ्यपुस्तकों को स्कूल वाले मान्य नहीं कर रहे हैं। इस कारण राज्य शिक्षा केंद्र ने स्कूलों को पुरानी किताबों को मान्य करने के लिए निर्देश दिए हैं।
इनका कहना है
अब पहली से आठवीं तक में विशिष्ट व सामान्य भाषा की अलग-अलग किताबें नहीं होंगी, बल्कि एक ही किताब होगी।इससे विद्यार्थियों को एक ही किताब पढ़नी होगी।
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