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सुप्रीम कोर्ट 'द केरल स्टोरी' पर बंगाल में प्रतिबंध के खिलाफ याचिका पर 12 मई को करेगा सुनवाई




दिल्ली, 10 मई,  उच्चतम न्यायालय विवादास्पद फिल्म 'द केरल स्टोरी' पर पश्चिम बंगाल में रोक लगाने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ फिल्म निर्माताओं की ओर से दायर याचिका पर 12 मई को सुनवाई करेगा। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने बुधवार को याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे की गुहार स्वीकार करते हुए याचिका पर सुनवाई के लिए अपनी सहमति व्यक्त की। श्री साल्वे ने 'विशेष उल्लेख' के दौरान इस मामले पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया था‌। उन्होंने पीठ के समक्ष अनुरोध करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा 8 मई को फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई थी। दूसरी, ओर तमिलनाडु में प्रतिबंध का खतरा मंडरा रहा है।   पीठ ने शुरुआत में कहा कि वह 15 मई को फिल्म से संबंधित अन्य याचिकाओं के साथ इस मामले की भी सुनवाई करेगी। इसके बाद श्री साल्वे ने दलील देते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल के बाद तमिलनाडु में भी प्रतिबंध की आशंका के कारण रोजाना निर्माताओं को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। इस दलील के बाद पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई करने पर अपनी सहमति व्यक्त की। इससे पहले शीर्ष अदालत ने मंगलवार को इसी फिल्म पर रोक लगाने पर केरल उच्च न्यायालय के इनकार के खिलाफ दायर याचिका पर 15 मई को सुनवाई की गुहार स्वीकार की थी।   मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल के अनुरोध को स्वीकार करते हुए सुनवाई करने पर अपनी सहमति जताई थी। श्री सिब्बल ने इस मामले को 'विशेष उल्लेख' के दौरान उठाते हुए तत्काल सुनवाई करने का अनुरोध किया था। शीर्ष अदालत के समक्ष पिछले कुछ दिनों में यह मामला यह पांचवीं बार आया है। इससे पहले फिल्म से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर सुनवाई करने से शीर्ष अदालत ने इनकार कर दिया था। सनशाइन पिक्चर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निर्मित और सुदीप्तो सेन द्वारा निर्देशित यह फिल्म शुक्रवार 5 मई 2023 को देशभर में रिलीज की गई थी। हालांकि, पश्चिम बंगाल सरकार ने कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए 8 मई को इस के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद निर्माताओं ने सिर्फ अदालत का दरवाजा खटखटाया। शीर्ष अदालत के समक्ष दायर एक‌ अन्य याचिका में केरल उच्च न्यायालय के 5 मई के आदेश की वैधता पर सवाल उठाया गया है, जिस में कहा गया है कि फिल्म में इस्लाम या मुसलमानों के खिलाफ कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है। 

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