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बेहद चमत्कारी है हरसिंगार का फूल, इसके उपाय से दूर हो जाएंगी सभी समस्याएं



हिन्दू धर्म के ग्रंथों में कई पेड़ पौधों में दैवीय ऊर्जा बताई गई है, उनमें से एक है हरसिंगार। पारिजात के पौधे को हरसिंगार भी कहा जाता है और यह बेहद पवित्र पौधा होता है। नारंगी डंडी और खूबसूरत सफेद फूल को आपने कई जगहों पर देखा होगा, इसी फूल को हरसिंगार कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि जिस घर में हरसिंगार का पौधा होता है, उस घर में माता लक्ष्मी का वास होता है। साथ ही इस फूल को छूने मात्र से ही सभी परेशानियां और थकान भी दूर हो जाती हैं। 

आयुर्वेद में भी इस फूल के बारे में कुछ विशेष बातें बताई गई हैं। इस पौधे को अगर घर में सही दिशा में लगाया जाए तो कई समस्याएं दूर हो जाती हैं और आरोग्य की भी प्राप्ति होती है। ज्योतिष शास्त्र में हरसिंगार का फूल के कुछ उपाय बताए गए हैं, इन उपायों के करने से हर इच्छा पूरी होती है और धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती। 

आइए जानते हैं हरसिंगार फूल के उपाय से किस तरह आप अपनी समस्याओं को दूर कर सकते हैं हरसिंगार के पौधे में माता लक्ष्मी का वास माना जाता है। अगर घर के उत्तर या पूर्व दिशा में इस पौधे को लगाया जाए तो घर का ना सिर्फ वास्तु दोष दूर होता है बल्कि इसे देखने मात्र से जीवन में सुकून आता है। साथ ही यह आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और हर तरह के मानसिक तनाव से दूर रखता है। जहां हरसिंगार का पौधा होता है, वहां बुरी शक्तियां दूर रहती हैं।

नौकरी व व्यापार में उन्नति के लिए हरसिंगार का फूल बेहद उपयोगी बताया गया है। हरसिंगार के 21 फूल को लाल कपड़े में बांधकर घर या व्यापारिक स्थल के मंदिर में माता लक्ष्मी के पास रख दें। ऐसा करने से व्यापार में अच्छी तरक्की होती है और नौकरी पेशा जातकों के करियर में अच्छे अवसर प्राप्त होते हैं। साथ ही किसी भी तरह की कोई अड़चन आ रही हो तो वह भी दूर हो जाती है।हरसिंगार का जिक्र कई प्राचीन ग्रंथों में मिलता है।

 मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने स्वर्गलोक से हरसिंगार का पौधा लाकर देवी रुक्मिणी को भेंट कर दिया था। वहीं देवी सत्यभामा को देवलोक से देवमाता अदिति ने चिरयौवन का आशीर्वाद दिया लेकिन हरसिंगार के पौधे की वजह से देवी रुक्मिणी चिरयौवन हो गईं। देवी सत्यभामा की जिद के बाद श्रीकृष्ण ने धरती पर हरसिंगार का पौधा लगाया। इस पौधे के होने भर से आसपास सकारात्मक माहौल हो जाता है।

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